चीन की आर्थिक वृद्धि और सम्भोग से होने वाले रोग 'सिफिलिस या गर्मी /उपदंश रोग 'में आंकड़ों की जुबानी एक अंतर सम्बन्ध की पुष्टि होती प्रतीत होती है .अब से पांच दशक पहले जीवाणु जनित इस रोग का उन्मूलन लगभग कर लिया गया था .बस एक लोंगर लास्टिंग 'एंटी -बायोटिक पेंसिलिन -जी 'की एक सुईं ही मरीज़ को लगानी पडती थी .इंट्रा मस्क्युलर दिए जाने वाले इस इंजेक्सन की २.४ मिलियन यूनिट्स की एक ही डोज़ काफी रहती थी .अलबत्ता जिन लोगों को पेंसिलिन इंजेक्सन माफिक नहीं आता था (रियेक्सन होती थी )उन्हें दोक्सी -साइकिलीन या फिर टेट्रा साइकिलीन दे दिया जाता था ।
आज हरेक घंटे में चीन में एक शिशु अपनी माँ से सिफिलिस की सौगात लिए इस दुनिया में आ रहा है .ज़ाहिर है सिफिलिस एपिदेमिक उफान पर है .१९५० और १९६० आदि के दशकों में सिफलिस का इक्का दुक्का मामला ही सामने आता था ।
२००३ -२००८ के दरमियान प्रति एक लाख लाइव बर्थ के पीछे सिफिलिस के मामले गत पांच छ सालों में ७ से बढ़कर ५७ हो गए हैं ।
नोर्थ केरोलिना विश्व -विद्यालय ने अपने ताज़ा अध्धय्यन में उक्त तथ्यों का पता लगाया है ।
आज महानगरी 'शंघाई 'इसका हब बन चुका है .न्यू- इंग्लैण्ड जर्नल ऑफ़ मेडिसन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस सबकी वजह चीन की बूमिंग इकोनोमी बन रही है .लोगों की जेब में पैसा है 'असुरक्षित सेक्स 'के लिए. कई शरीर बेच कर गुज़ारा करने वाली वेश्याओं ने ,बाइसेक्सु -अल्स ने घर बसा लिए हैं .नतीज़तन अब घर परिवारों में भी यह रोग घर बना रहा है ।
इलाज़ ना कराने ,शिनाख्त के लिए आगे ना आने वालों के लियें यह रोग जी का जंजाल बन जाता है .रोग के आखिरी चरण में दिल और दिमाग दोनों इस रोग से असर ग्रस्त हो जातें हैं .'कार्डियो -वैस्क्युँल्र- सिफिलिस 'और 'न्यूरो -सिफिलिस 'की चपेट में आजाता है मरीज़ ।
एक और यौन संचारी रोग 'गोनोरिया 'के संग चुप चाप चला आता है यह रोग .गोनोरिया का इलाज़ करवाने पर सिफिलिस के लक्षण दब जातें हैं .क्योंकि सिफिलिस ईनोक्युलेसन के कई हफ़्तों बाद ही अपने लक्षण ज़ाहिर करता है .गोनोरिया -सिफिलिस साथ साथ आतें हैं .एक के इलाज़ के साथ सेरोलोजिकल जांच के ज़रिये जो चार महीनों तक चलती है दूसरी बीमारी को रुल आउट करना पड़ता है ।
सन्दर्भ- सामिग्री :-वन चाइनीज़ बेबी बोर्न विद सिफिलिस एवरी आवर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे७ ,२०१० ).
शनिवार, 8 मई 2010
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