अमरीका के 'विस्कोंसिन -मेडिसन ,विश्व -विद्यालय 'के साइंसदानों ने माँ की वाणी को किशोर होते बालक बालिकाओं के तनाव -हारी ,स्ट्रेस -बस्टर, के रूप में पाया है .माँ की वाणी सामाजिक सरोकारों सोशल इंटरेक्शन का एक न्यूरो -इंडो क्रा-इन आधार ही नहीं रचती उसका (हमारे -स्रावी तंत्र )का विनियमन भी करती है ।
वैसे भी आप जानतें हैं ,ज़िन्दगी शब्दों से ही चलती है .किसी ने कहा -फलां की डेथ हो गई और इसके साथ ही हमारा सारा मानस ही बदल जाता है .जीवन की लय टूटने लगती है यदि शरीर छोड़ने वाला हमारा प्रिय -जन रहा है .बेशक खबर झूंठी ही क्यों ना हो ।
लेकिन माँ की आवाज़ संकट ग्रस्त ,तनाव के तनोबे से घिरे बालकों को ना सिर्फ आश्वस्त करती है ,सारा तनाव भी हर लेती है ।
अपने प्रयोगों में साइंसदानों ने किशोरावस्था की देहलीज़ पर पाँव रखते बालकों को चुना .इन्हें अजनबियों के सामने 'डेमो' (प्रेजेंटेशन )देने के लिए कहा गया ।
कुल ६१ बालक -बालिकाओं को तीन समूहों में रखा गया .पहले समूह का डेमो के ठीक बाद माँ से संवाद (रू -बा -रू )करवाया गया ,दूसरे को सिर्फ माँ की आश्वस्त कारी वाणी सुनवाई गई और तीसरे को इस सुख से वंचित रखा गया .इस दरमियान बराबर स्ट्रेस हारमोनों का मानी -तरण (मोनिटरिंग )किया गया ।
पहले समूह में' कडल- हारमोन 'लाड चाव दुलार के लिए जिम्मेवार हारमोन 'ऑक्सीटोसिन 'का स्तर यकसां पाया गया .तीसरा वर्ग इस प्रसादन (रिलेक्शेसन )से वंचित रहा .पता चला अच्छी सेहत के लिए फेमिली -एंड फ्रेंड्स का हर कदम पर साथ-समर्थन एक विधाई भूमिका निभाता है ।
वाणी दूर से भी ,दूरभाष से भी असर करती है ,और अगर यह वाणी 'माँ 'की हो तो कहने ही क्या ।
वोकेलाइज़ेशन प्लेज एन इम्पोर्टेंट रोल इन न्यूरो -इंडो क्रा -इन रेग्युलेसन ऑफ़ सोसल बोन्डिंग .परस्पर जुड़ाव और तनाव हीनता का रसायन बुनता है संवाद ।इसीलिए माँ को ईश्वर का दर्जा दिया गया है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-फॉर स्ट्रेस्ड किड्स ,मोम्स वोईस एक्ट्स लाइक ए हग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मे१३ ,२०१० )
शुक्रवार, 14 मई 2010
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