आमतौर पर गर्भाशयीय गठानें निरापद निर-कष्ट ही बनी रहतीं हैं ,ख़तरा नहीं बनती हैं सेहत को लेकिन कुछ परेशानियों के अलावा कुछ मामलों में बेहद रक्त स्राव खून की कमी की वजह बन जाता है .
कभी कभार ही ऐसा होता है जब ये गठानें गर्भाशय के बाहर एक स्टाल्क जैसे प्रोजेक्शन पर पनप आतीं हैं . अब ऐसे में यदि इनमे एंठन या ट्विस्ट पैदा हो जाए तब ये तेज़ और आकस्मिक दर्द की वजह बनती हैं .पेडू (लोवर एबडोमन) में होता है यह मारक दर्द .
यह एक आपात काल है जिसमें शल्य की भी ज़रुरत पड़ सकती है .
प्र्ग्नेंसी एंड फिब -रोइड्स :क्योंकि प्रजनन क्षम उम्र में ही गर्भाशय में पनपतें हैं फिब -रोइड्स इसीलिए महिलायें अकसर एक सुरक्षित प्रसव और मातृत्व को लेकर चिंतित रहतीं हैं .
आम तौर पर गर्भ धारण करने और गर्भावस्था में फिब -रोइड्स कोई व्यवधान खड़ा नहीं करतें हैं ।
लेकिन कभी कभार (बिरले ही होता है यह )ये गठानें या तो अंडवाहिनी नलिकाओं को अवरुद्ध ही कर देतीं हैं या फिर विकृत बना देतीं हैं फेलोपियन ट्यूब्स को .
स्पर्म (शुक्राणुओं )का बच्चे दानी की गर्दन से (सर्विक्स से )अंड वाहिनियों तक का सफ़र भी मुश्किल बना देतीं हैं .
सब -म्युकोसल फिब -रोइड्स भ्रूण के प्रत्यारोप को, इम्प्लांटेशन और बढ़वार दोनों मुल्तवी रखवा सकतें हैं .यानि गर्भ धारण में बाधा डालतें हैं ।
अध्ययनों के मुताबिक़ गर्भवती महिलाओं में फिब -रोइड्स की मौजूदगी में मिस केरिज का ख़तरा भी थोड़ा सा बढ़ जाता है (बढ़ता थोड़ा सा ही है ).अलावा इसके समय पूर्व प्रसव पीड़ा ,समय पूर्व प्रसव का हो ही जाना ,भ्रूण का असामान्य स्थिति में आजाना ,तथा प्लेसेंटा का गर्भाशय की दीवार से छिटक कर अलग होजाना भी देखा गया है ।लेकिन सभी अध्ययनों से यह बात पुष्ट नहीं हुई है .
जटिलताएं इस बात से तय होतीं हैं फिब -रोइड्स तादाद और आकार में कितने हैं ,कहाँ अवस्थित हैं .
मल्टी -पिल फिब -रोइड्स और लार्ज सब -म्युकोसल फिब -रोइड्स जो गर्भाशयीय केविटी को ही विकृत कर सकतें हैं ,ज्यादा परेशानियां खड़ी कर सकतें हैं ।
गर्भावस्था में इनकी मौजूदगी एक और आम समस्या पैदा करती है ,लोकेलाइज़्दपैन ,खासकर पहली और दूसरी तिमाही के बीच में ।
बेशक इसका तुरत समाधान प्रस्तुत कर देतें हैं पैन रिलीवर्स(दर्द हर ,एनल्जेसिक्स)।
सच यह भी है ,ज्यादातर मामलों में यह गर्भावस्था में कोई खलल,दखल नहीं देतें हैं ,इसलिए इलाज़ की नौबत ही नहीं आती है ।
एक वक्त था जब सोचा जाता था फिब -रोइड्स गर्भ काल में तेज़ी से बढतें हैं लेकिन अनेक अधययनो से इस अवधारणा का खंडन हो चुका है ।
ज्यादातर गठानों का आकार जस का तस (स्थाई )बना रहता है लेकिन कुछ के आकार में घटबढ़ भी होती है .,ऐसा अकसर गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही होता है ।
यदि फिब -रोइड्स आपके मामलें में बारहा गर्भ -पात की वजह बनें हैं ,प्रेगनेंसी लोस का सबब बने हैं .आपका माहिर इनमे से कुछ को निकाल बाहर करने का भी परामर्श दे सकता है ताकि कामयाब गर्भावस्था के मौकें बढ़ें .गर्भ काल पूरा हो .खासकर तब जब कोई और वजह दिखलाई न दे इस व्यवधान की .तथा फिब -रोइड्स गर्भाशय केविटी को विकृत करते रहें हों ।
अकसर माहिर सिजेरियन सेक्शन के साथ साथ फिब -रोइड्स को नहीं निकालतें हैं .ताकि अतिरिक्त ब्लीडिंग न हो। .
(ज़ारी ..).
शनिवार, 21 मई 2011
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2 टिप्पणियां:
गंभीर जानकारी.
ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए आभार।
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