इमोशनल देफिशिट्स :
संवेगात्मक समस्याएं भी स्ट्रोक अपने पीछे छोड़ा जाता है .न तो स्ट्रोक के मरीज़ भावात्मक और रागात्मक संवेगों को काबू ही कर पातें हैं और न ही कई स्थितियों में इनको तरीके से अभिव्यक्त कर पातें हैं .अकसर स्ट्रोक अपने पीछे अवसाद (डिप्रेशन )छोड़ जाता है .यह आम तौर पर विद्यमान अवसाद से दुःख और पीड़ा से कहीं ज्यादा सघनता लिए रहता है .यह एक क्लिनिकल (रोग नैदानिक व्यवहार सम्बन्धी समस्या है )बिहेवियरल प्रोब्लम है ,जो मरीज़ की अवस्था में सुधार और उसके पुनर्वास को दुष्कर बना देती है ,आत्म ह्त्या की और भी ठेल सकती है यह स्थति मरीज़ को ।
इसका भी "मेजर डिप्रेसिव डिस -ऑर्डर "की तरह इलाज़ होना चाहिए ,एंटी -डिप्रेसेंट्स मेडिकेसंस(अवसाद रोधी दवाओं )तथा टाक थिरेपी (क्लिनिकल कोंसेलिंग )से ।
(ज़ारी ॥)
इस बार का शैर पढ़िए :
सच बात मान लीजिये चेहरे पे धूल है ,
इलज़ाम आईने पे लगाना फ़िज़ूल है ।
इसी मिजाज़ का एक शैर और पढ़िए -
सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,
अपनी करनी पर बहुत पछताओगे .
रविवार, 15 मई 2011
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1 टिप्पणी:
जानकार अच्छा लगा !
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