क्षणिका
बिना एहसास के मैं जी रहा हूँ ,
इसलिए कि जब कभी एहसास लौटें ,
तो ,खैरमकदम कर सकूं .
रविवार, 29 मई 2011
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3 टिप्पणियां:
खैरमतम यानि स्वागत ?
samajha gya sir
bahut achha
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