कौन कौन से इलाज़ दवा दारु मयस्सर हैं पोलिसिस्तिक ओवेरियन सिंड्रोम के प्रबंधन के लिए ?
इलाज़ का चयन असर ग्रस्त महिला की उम्र जीवन सौपानके किस चरण में है वह ज़िन्दगी केकिस मोड़ पर है इस बात से तय होता है .जो महिलायें फिलवक्त संतान नहीं चाहतीं गर्भ निरोध की इच्छुक होतीं हैं उनके लिए "बर्थ कंट्रोल पिल "खासकर ऐसी जिसके एंड्रोजेनिक(पुरुष हारमोन से पैदा होने वाले )पार्श्व प्रभाव कमतर रहतें हैं ,वह एक तरफ मासिक चक्र को भी बनाए रहतीं हैं दूसरी तरफ गर्भाशय कैंसर के खतरे के वजन को भी कम रखतीं हैंआजमाई जातीं हैं ।
प्रोजेस्टेरोन हारमोन के साथ रुक रुक कर (इंटर -मिटेंत -ली )चिकित्सा करने का विकल्प भी रहता है लेकिन यह एक गर्भ निरोधी उपाय नहीं है ,अलबत्ता मासिक को भी प्रेरित करती है यह चिकित्सा तथा यूटेराइन कैंसर के जोखिम को भी कम करती है ।
कील मुहांसों और अतिरिक्त अवांछित बालों सेजो कई अंगों पर उग आतें हैं मुक्ति दिलवाने के लिए एक वाटर पिल (मूत्रल ,डाय -युरेटिक) "स्पाइरोनो -लेक्टोंन "आजमाई जा सकती है ।
अलबत्ता इसके साथ कभी कभार ,यदा कदा खून की जांच भी साथ साथ की जाती रहती है खून में पोटाशियम के स्तर तथा गुर्दों के ठीक ठाक काम करते रहने की जानकारी के लिए .क्योंकि यह दोनों को ही असर ग्रस्त कर सकती है अवांछित प्रभाव के रूप में ।
चेहरे से बालों को हटाने के लिए बढ़वार की रफ्तार कम करने के लिए एक क्रीम "वनिका "(एफ्लर -निथाइन ) का भी स्तेमाल किया जा सकता है .आजकल इसकाम के लिए इलेक्ट्रो- लिसिस भी उपलब्ध है ,सहज सुलभ क्रीम्स भी जो बिना नुश्खे (डॉ .के प्रिस्क्रिप्शन ,पर्ची,ओ पी डी टिकिट )के मिल जातीं है .
जो महिलायें गर्भ धारण करना चाहतीं हैं उन्हें दवा "क्लोमिड "(क्लोमी -फीन ) दी जा सकती है .यह ओव्यूलेशन को प्रेरित करती है ,अंडाशय से डिम्ब क्षरण (ह्यूमेन एग रिलीज़ )करवाती है ।
वजन कम करना भी काम आता है साइकिल को नियमित रखने करने और और गर्भ धारण के मौके बढाने में .
अलावा इसके इन -फर्टिलिटी के सामाधान के लिए गोनाडो-त्रोपिन हारमोन की सुइयां लगाने के साथ साथ "असिस्तिद रिप्रो -दक्तिव तकनीकों "का भी सहारा लिया जाता है .यह खासकर उन महिलाओं के लिए जिन पर "क्लोमिड थिरेपी" असर नहीं डाल पाती ,इस चिकित्सा के चलते भी जो गर्भ धारण नहीं कर पातीं हैं .
मेट -फोर्मिन (ग्लुकोफेज़ )यह दवा एक तरफ "पी सी ओ एस "के लक्षणों में सुधार लाती है ,इंसुलिन के असर ,एक्शन में भी सुधार लाती है (सेकेंडरी डायबिटीज़ में इसे दिया जाता है ),इस संलक्षण की जटिलताओं को भी कम रखने में सहायक सिद्ध होती है ।
अनियमित माहवारी (इर्रेग्युलर पीरियड्स )के प्रबंधन में कारगर पाए जाने के अलावा यह डिम्ब क्षरण को भी प्रेरित करती है ,वजन कम करने में मदद करती है ,तथा टाइप-टू डायबिटीज़ से भी इस संलक्षण की मरीजाओं को बचाए रहती है ।
गर्भावस्था में हो जाने वाली मधु -मेह से भी यह "पी सी ओ एस "से ग्रस्त महिलाओं का बचाव करती है .
बेशक इस संलक्षण के संग साथ चली आने वाली ओबेसिटी का इलाज़ करना बहुत ज़रूरी होता है ,जो कई नै मेडिकल कंडी -संस(परेशानियों की )वजह बन जाती है .वेट लोस बहुत फायदे मंद साबित होता है ,इस संलक्षण की जटिलताओं में खासकर मधुमेह तथा दिल की बीमारियों से बचाए रहने में .
खुराक विज्ञान की माहिरा की मदद बड़ी काम आती है .मोटापे से पार पाने में ।
कुछ महिलाओं में "ओवेरियन ड्रिलिंग "एक शल्य तरकीब के तहत किया जाता है ,ताकि अंडक्षरण को प्रेरित किया जा सके .ये उनके लिए जिन पर बाकी इलाज़ असर नहीं कर पाते .इसमें अंडाशय के ऊतकों का एक बहुत छोटा सा हिस्सा एक सुईं से अंडाशय में बिजली (विद्युत् धारा ,इलेक्ट्रिक करेंट )भेजकर नष्ट कर दिया जाता है ।
(ज़ारी ....).
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2 टिप्पणियां:
मेरी छोटी सी समझ में पूरी बात तो नहीं आ रही है...बार-बार पढ़कर समझाने की कोशिश कर रही हूँ
यह कुसूर आपका नहीं है हमारी अभिव्यक्ति में दुरूहता रह गई होगी .दोबारा समझाने की कोशिश ज़रूर करंगें .शुक्रिया आपका .सकारात्मक टिपण्णी लेखन को साफ़ बनाने के लिए सुधारने के लिए ज़रूरी है .मैं ऐसा मानता हूँ .आपने वही किया है .धन्यवाद !
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