कितने किस्म के हैं शाकाहारी ?
शाकाहारी :शुद्ध शाकाहारी 'वीगन '(वी गन )भी कहलातें हैं .ये डैरी-उत्पादों (पशु -उत्पादों )से भी छितकतें हैं .दूध और इससे बने उत्पाद नहीं लेतें हैं .इनके भोजन में प्रमुखतया साग -सब्जियां ,फल ,लेग्युम्स यानी तमाम तरह की फलियाँ एवं मटर ,तमाम तरह के अनाज (खाद्यान्न )बीज तथा मेवे शामिल रहतें हैं ।
लेक्टो -ओवो -शाकाहारी :ऊपर की तमाम चीज़ों के अलावा अंडा भी ले लेतें हैं .दूध भी ।लेकिन मॉस -मच्छी से इनका कोई मतलब नहीं रहता .न पोर्क न बीफ और न कोई अन्य सामिष खाद्य ये लेतें हैं ।
कुछ शाकाहारी भोजन में शहद भी नहीं लेते .क्योंकि शहद प्राप्त करने की प्रक्रिया में काफी बड़ी तादाद में मधु -मख्खियाँ मारी जातीं हैं .इनका प्रकृति और पशु जीवों तमाम कीट पतंगों ,प्राणी -मात्र के प्रति प्रेम और प्रकृति- संरक्षण के प्रति अनुराग इन्हें ऐसा करने से रोकता है .
वीगन चीनी भी नहीं खाते जिसके परिष्करण में हड्डियों का चूरा स्तेमाल में लिया जाता है .ये जिलेटिन से भी बचते हैं क्योंकि यह पशुओं की हड्डी ,त्वचा एवं आबन्धी -ऊतकों (कनेक्तिव -टिश्यु )से बनता है ।
वीगन चमड़े से बनी चीज़ें नहीं स्तेमाल करते हैं .ऊन सिल्क आदि से बने वस्त्र भी नहीं .पृथ्वी के प्राकृतिक संशाधनों का ये संरक्षण चाहतें हैं ।
फ्रूट -ए -रियन :ये फलाहार पर ज़िंदा रहतें हैं .अलबत्ता वे चीज़ें जो फल और तरकारी (सब्जी )दोनोंवर्ग में आतीं हैं जैसे खीरा ,टमाटर ,आंवला (इंडियन गूज बेरी )भी इनके भोजन का हिस्सा बनतीं हैं .
कच्चा भोजन आहारी :फल ,सब्जी ,मेवों ,भीगे हुए तथा उगे हुए ,अंकुरित खाद्यान्न या लेग्युम्स को प्राकृत अवस्था में ही बिना पकाए खातें हैं ताकि उनके कुदरती गुण तथा एंजाइम्स (किण्वक )बरकरार रह सकें ।
केवल वाईट मीट ,मच्छी चिकिन कभी कभार खाने वालों को (बाकी समय शाकाहार लेने )वालों को अर्द्ध -शाकाहारी कहा जा सकता है ।
शाकाहारी भोजन को नैतिक मूल्यों /तत्वों से भी जोड़तें हैं .अहिंसा इनका मूल मन्त्र है .कहतें हैं जैसा अन्न वैसा मन ,जैसा पानी वैसी वाणी .
गुरुवार, 27 जनवरी 2011
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