बर्ड्स ऑफ़ ए फीदर ?योर जीन हेल्प यु सलेक्ट फ्रेंड्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी १९ ,२०११ ,पृष्ठ २३ )।
" प्रोसीडिंग्स ऑफ़ दी नेशनल अकादेमी ऑफ़ साइंसिज़ "जर्नल में हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसका सम्बन्ध ऊपरलिखित शीर्षक से है .प्रस्तुत है इसी रिपोर्ट के कुछ अंशों पर आधारित एक सार :प्रस्तुति एक दम से मौलिक है .जो समझ पड़ा है वही लिखा है .वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )।
'नेचर और नर्चर '-विमर्श और राग पुराना है .पढ़ा था कभी ,गुना भी था -'यु आर नोट ओनली दी सम टोटल ऑफ़ योर जींस ,यु आर योर एन -वायरन -मेंट आल्सो 'यानी जीवन(व्यक्ति विशेष ) मात्र जीवन(व्यक्ति ) की बुनियादी ईंटों ,जीवन इकाइयों का जमा जोड़ मात्र नहीं उसका परिवेश भी है ।
अब अगता है इसमें एक आयाम और आ जुड़ा है .नेचर एंड फ्रेंडशिप यानी व्यक्ति मात्र रिप्रो -डक -टिव यूनियन का परिणाम मात्र नहीं है .दो व्यक्तियों के बीच की फ्रेंडशिप यूनियन का भी नतीजा है ।
ज़ाहिर है -संग का रंग चढ़ता है .राधा ऐसे ही नहीं गाती थी -श्याम रंग में रंगी चुनरिया अब रंग दूजो भावे न ,जिन नैनं में श्याम बसें हैं और दूसरो आवे न ।
यह निष्कर्ष सहज ही निकाला जा सकता है -जेनेटिक स्ट्रक्चर इन ह्यूमेन पोप्युलेसन मे रिज़ल्ट नोट ओनली फ्रॉम दी फोर्मेसन ऑफ़ रिप्रो -डक -टिव यूनियंस बट आल्सो फ्रॉम दी फोर्मेसन ऑफ़ फ्रेंडशिप यूनियंस विदीन ए पोप्युलेसन ।
ह्यूमेन इवोल्युसन मे तू सम एक्सटेंट हेव बीन शेप्ड बाई इन्तेरेक्संस बिटवीन जींस एंड फ्रेंडशिप चोइसिज़ ।
मानवीय विकासात्मक पर्यावरण उसके भौतिक और जैविक पर्यावरण तक ही सीमित नहीं है उसका सामाजिक परिवेश भी इस विकास में शामिल रहा है .
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