"यह मुंबई नहीं बम्बई का बुद्धिजीवी पौवा है. "-नन्द मेहता वागीश ।
गेस्ट आइटम के बतौर प्रकाशित इस कविता में नन्द मेहता यह क्षेपक जोड़ना चाहतें हैं .कृपया इसे पूर्व प्रकाशित अंश के साथ भी पढ़ें -वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )।
इस शख्श के मन में नहीं कोई राष्ट्रीय अपमान का संताप ,
अलबत्ता आतंक के विरुद्ध उठाए गए सुरक्षात्मक क़दमों पर ,
इसे ज़रूर है मनस्ताप ,
क्योंकि नए साल का जश्न मनाने ,नहीं जा सकीं घर की बेटियाँ दोस्तों के साथ ,
मुंबई के प्रसिद्द कैफे हॉट रॉक ,
बस इतनी सी व्यक्ति गत बात है ,बाकी तो बम्बैया ठलुवे का प्रलाप है .
सोमवार, 17 जनवरी 2011
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