मुन्चौसे ?
यह एक ऐसी परिकथा फेंतेस्तिक स्टोरी ,विचित्र औरअविश्वश्नीय होती है जिसे बढा -चढ़ा -कर ,अतिश्योक्ति पूर्ण बनाकर प्रस्तुत किया जाता है .मकसद होता है लोगों को प्रभावित करना .एक बानगी देखिये -
"हनुमान की पूंछ में लगन न लागी आग ,सगरी लंका जर(जल ) गई ,गए पिशाचर(निशाचर ) भाग "
ऐसी किस्सा गोई करने कहने वाले को मुन्चौसें कहा जाता है .(आफ्टर दी एपोंय्मोउस/एपोनिमस हीरो ,बारां मुन्चौसें ,ऑफ़ ए बुक ऑफ़ इम्पोसिबिल एडवेंचर्स (१७८५ )रितिन इन इंग्लिश बाई दी जर्मन ऑथर रुडोल्फ एरिक रस्पे ।
मुन्चौसे सिंड्रोम ?
इट इज ए साइकोलोजिकल डिस -ऑर्डर इन व्हिच समबडी प्रीतेंड्स टू हेव ए सीरियस इलनेस इन ऑर्डर टू अंडरगो टेस्ट -इंग ऑर ट्रीटमेंट ऑर टू बी एडमितिद टू हॉस्पिटल .
रविवार, 16 जनवरी 2011
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