हल्दी के चूर्ण से (पीसी हुई हल्दी से )दांत साफ़ करिए ,दांत स्वस्थ रहेंगें ।
हल्दी रस स्वाद कीदृष्टि से कैसेली एवं कडवी होने से दांत तथा मसूढ़ों पर हितकारी असर करती है .कैसेला रस हमेशा संकोचन करने वाला होने से सूजन दूर करता है .कैसेला रस जिसके संपर्क में आता है उसी अंग को मजबूत करता है .हल्दी में पाए जाने वाला कडवा रस ख़ास कर दन्त कृमि को उत्पन्न नहीं होने देता .और यदि उत्पन्न हो भी गएँ हों तो उनको नष्ट कर देता है .इसके प्रयोग से दांत या दाढ़ में केविटी नहीं बनती दांत खोखले नहीं होते छिद्रिल नहीं होते .हल्दी का रस भी कैसेले रस की तरह रक्त शुद्धि करने वाला है .मसूढ़ों का रक्त शुद्ध रहने से दांत मजबूत रहतें हैं .हल्दी रस में तीखी भी है जो कफ़ का नाश करती है .तथा कृमि और चिकनाई को दूर करती है ।
गले के ऊपर के अंगों में कफ जन्य रोग होने की संभावना अधिक रहती है .हल्दी कडवी कसैली और तीखी होने सेएवं गर्म होने से दांत और मसूढ़ों की कफ जन्य रोगों से रक्षा करती है .गुण में रुक्ष होने से मसूढ़ों एवं मुख की चिकनाई दूर करती है .हल्दी व्रणरोपण गुण के कारण दांत के क्षत ,व्रण आदि के घाव भर देती है .मसूढ़ों में जलन चीस और शूलो को अपने विविध -कर्म से मिटाती है . दांत -दाढ़ में केविटी ,छाले व्रण ,सदन आदि को हल्दी अपने कैसेला पन और कडवापन से रोक देती है .रक्त दोष के कारण होने वाला पायरिया जैसा रोग ठीक करने में सहायक है .पायरिया से आने वाली पस(मवाद )रक्त- स्राव (ब्लीडिंग )तथा दुर्गन्ध दूर करती है .कागा लटकने पर भी हल्दी का अंतर -बाहिय प्रयोग सर्वोत्तम है .
रविवार, 23 जनवरी 2011
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