एक लंबी ,चौड़ी ,और अपेक्षाकृत कम मोटाई वाली प्लेट का स्तेमाल रेल कि पटरियों के सिरों को परस्पर समायोजित करने जोड़े रखने के लिए किया जाता है .हम अकसर सुनतें हैं अमुक जगह फिश प्लेट निकली हुई मिली है .रेल एक्सिदेंट्स कई बार ऐसी नक्सली /आतंकी /और आन्दोलनकारी हरकतों का सबब बनतें हैं .हद तो यह है आरक्षण से जुड़े आन्दोलन कारी भी ऐसा धड़ल्ले से कर रहें हैं और सरकारें तमाशबीन बनी हुईं हैं ,आगे बढ़कर उनकी मांगें भी पूरी कर रहीं हैं ।
क्योंकि इस प्लेट कि आकृति मछली कि तरह होती है जो अपनी लम्बाई चौड़ाई के बरक्स कम मोटाई लिए होती है इसीलिए इसे फिशप्लेट कहा जाने लगा ।
यूनानी सभ्यता संस्कृति में (ग्रीस और साइप्रस )हेलेनिस्तिक काल में बर्तन भांडे इसी आकृति के बनाए जाते थे .ईसा से भी ५०० वर्ष पूर्व -फर्स्ट प्रोद्युज्द इन एन्थेंस इट वाज़ करेक्तराइज़्द बाई ए स्माल कप इन दी सेंटर व्हिच वाज़ यूस्ड फॉर होल्डिंग आयल ऑर फिश सौस .इट वाज़ युज्युअली देकोरेतिद विद पिक्चर्स ऑफ़ दी सी फ़ूड इट वाज़ इन्टेंदिद टू होल्ड ।
इन ग्रीक कल्चर ,ए फिश प्लेट इज ए टाइप ऑफ़ पोटरी यूनिक टू दी हेलेनिस्तिक पीरियड .
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