स्मोकिंग हार्म्स जींस इन मिनिट्स .जस्ट ए फ्यू सिगरेट पफ्स लीड टू फोर्मेसन ऑफ़ कैंसर काज़िंग 'ट्रेश डी एन ए ".ए कार्सिनोजन इन सिगरेट स्मोक 'फेनान्थ्रेने '/पोली -साइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रो -कार्बंस (पी ए एच एस ) इन -द्युसिज़ जेनेटिक म्युटेसन इन १५-३० मिनिट्स एंड रेज़िज़ लंग कैंसर रिस्क ,सेज ए न्यू स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी १७ ,२०११ ,पृष्ठ २१).
क्या मज़े मज़े में पीयर प्रेशर के तहत फेशनेबिल दिखने के लिए सुट्टा लगाने की सोच रहें हैं ?यही सुट्टा आदत में तब्दील होकर क्या क्या गुल खिला सकता है इसका आपको जरा भी इल्म नहीं होगा ।
सिगरेट का धुआं हमारी आनुवंशिक बनावट ,जीवन की बुनियादी ईंटों के रचाव को बदल कर ' ट्रेश डी एन ए 'में तब्दील कर सकता है .एक नए अध्ययन के अनुसार यह सारी करामात सिगरेट में मौजूद एक कैंसर पैदा करने वाला तत्व कार्सिनोजन 'फीनान्थ्रिन 'करता है जिसे पोली -साइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रो -कार्बन भी कहा जाता है .संक्षिप रूप "पी ए एच एस " ।
सुट्टा लगाने के १५ -३० मिनिट के भीतर भीतर यह अपना काम कर जाता है .यह हमारे खून में एक टोक्सिन(विषाक्त पदार्थ ) बनाता है जिसे ट्रेश डी एन ए कहा जाता है .बस जीन म्युटेसन के लिए यही कुसूरवार है .यह हमारी खानदानी विरासत जीवन की मूल भूत इकाइयों में ही बदतर बदलाव ला देता है ।
'इट इज दी फस्ट स्टडी टू इनवेस्टिगेट ह्यूमेन मेटाबोलिज्म ऑफ़ ए "पी ए एच "स्पेसिफिकाली दिलीवर्ड बाई इन -हिलेसन इन सिगरेट स्मोक ,विद -आउट इंटर -फियारेंस बाई अदर सोर्सिज़ ऑफ़ एक्सपोज़र सच एज एयर पोल्युसन एंड दी डाईट.'-सेज रिसर्चर्स ।
आलमी स्तर पर रोजाना ३०० लोग लंग कैंसर से मर जातें हैं इनमे से ९० फीसद के पीछे स्मोकिंग का ही हाथ होता है .अलावा इसके सिगरेट स्मोक १८ और किस्म के कैंसर की वजह बनता है ।
पी ए एच ही कैंसर का असली कारण बन रहा है .'केमिकल रिसर्च इन टोक्सिकोलोजी 'में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है .
सोमवार, 17 जनवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें