गले की सूजन ,खराश ,टोंसिल में राहत के लिए अमलतास :अमलताशकी फली लगभग चार इंच लम्बी को कुचल कर बीज निकाल लें और अन्दर के गूदे जो की काले रंग के सिक्के की तरह लकड़ी के साथ चिपका रहता है को लकड़ी सहित आधा किलो पानी में उबालें .जब पानी आधा रह जाए तो थोड़ा सा दूध मिलाकर इस अमलताश के गर्म काढ़े से गरारे करें .दूध न होने पर अमलताश के गर्म काढ़े से गरारे करें ।
दूध न होने पर अमलताश का गूदा १० ग्रेम २५० ग्रेम पानी डालकर उबाल लें और थोड़ा गर्म रहे तब गरारे करेंताकि गले की सिकाई सी हो जाए .तीन चार दिन तक गरारे करें और दिन में दो तीन बार करें ख़ास कर सोने से पहले अमलताश के काढ़े से गरारे करने से गले की पीड़ा और खराश में तुरंत लाभ होगा ।
इससे गले की सूजन और निगलने में की तकलीफ दूर होती है .डिप्थीरिया (कुकर खांसी /काली खांसी )में लाभ दायक है .गले की खराबी के कारण बुखार भी हो तो उसमे भी लाभ होता है .टांसिल बढ़ जाना ,टोंसिल में आवाज़ बंद हो जाना ,गला बैठ जाना आदि शिकायतें दूर हो जातीं हैं .खतरनाक खुन्नाक रोग में भी पूरी तरह आराम आजाता है .इसके साथ अमलताश के गूदे को पानी में पीसकर थोड़ा गर्म ही सूजन पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है ।
खुन्नाक में कंठ -शोथ (इन्फेक्शन ऑफ़ दी अपर रेस -पाय -रेक्त्री ट्रेक्ट )के साथ खाने -पीने तथा सांस लेने में कठिनाई होती है .काग भी गिर जाता है .और बार बार पीड़ा के साथ खांसी होती है .नजला जुकाम बिगड़ जाने पर भी कभी कभी यह भयानक रोग हो जाता है ।
अमलताश के गूदे का काढा बनाकर उसके गुनगुना रहने की अवस्था में गरारे करने से गले की खराश में लाभ होता है ।
अमलताश गुणों से भरपूर है इसका काला गूदा मृदु रेचक (लेक्सेतिव )शोथहर (एंटी -इन्फ्लेमेत्री ),पीड़ा शामक (एनाल्जेसिक ),रक्त -शोधक ,कफ निस्सारक (एक्स्पेक्तोरेंट ),दाह शामक,ज्वर का नाश करने वाला (एंटी -पाय्रेतिक )है ।
छाती और गले की तकलीफें ,नेत्र रोग ,गठिया रोग ,तथा आँतों के दर्द को दूरकरता है .पित्त ,चर्म- रोग (स्किन दीसीज़ )कुष्ठ और कफ रोग को हरने वाला है .हालाकि गूदा स्वाद में खराब और एक प्रकार की हीक लिए होता है परन्तु स्वाद को दुरुस्त करने वाला और रूचि वर्धक होता है .अमलताश कब्ज़ की बहुत ही निरापद औषधि है ,पर्गेतिव है .जिसे एक सप्ताह के बच्चे को भी बिना किसी आशंका के दिया जा सकता है ।
एक ग्लास दूध में अमलताश की फली का दो इंच लंबा टुकडा १० ग्रेम काट कर उबाल लें और फिर उससे गरारे करें .तोंसिल्स ,गले का दर्द और सूजन इसके नियमित प्रयोग से ठीक हो जाता है .तोंसिल्स के लिए यह एक बेहतरीन नुश्खा है .
सोमवार, 24 जनवरी 2011
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