मोम्स मोरो टू ट्रीट बेबीज़ इन वोम्ब .इन ए फस्ट ,एक्सपर्ट्स ट्रांसप्लांट स्टेम सेल्स इन फी -ट -सीज टू क्युओर ब्लड डी -
सीज़िज़ (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी २०,२०११ ,पृष्ठ २३)।
यह पहला मौक़ाhai जब केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के साइंसदानों ने माँ की अस्थि -मज्जा से कलम कोशिकाएं लेकर उसके गर्भस्थ में प्रत्यारोपित की हैं ताकि उसे गंभीर खून की बीमारी से बचाया जा सके . अब ऐसा प्रतीत होता है जन्मजात स्टेम सेल डिस -ऑर्डर्स से गर्भस्थ को माँ के गर्भ में ही ठीक किया जासकेगा .रिसर्च से पता चला गर्भस्थ की १० फीसद स्टेम सेल्स उसे माँ से ही प्राप्त हुईं हैं यही वजह रही माँ की स्टेम सेल्स को गर्भस्थ के इम्यून सिस्टम ने अपना लिया रिजेक्ट नहीं किया विजातीय समझ कर न ही ट्रांसप्लांट के बाद उसे कोई दवा देने की नौबत आई ।
'मदर्स इम्यून रेस्पोंस प्रिवेंट्स फितासिज़ फ्रॉम एक्सेप्टिंग डोनर ब्लड स्टेम सेल्स .एज लॉन्ग एज डी ट्रांसप्लांट -ईद स्टेम सेल्स आर मेच्ड टू डी मदर ,इट डज़ नोट सीम टू मैटर इफ दे आर मेच्ड टू दी फीटस .ट्रांसप्लांट -इंग स्टेम सेल्स हार्वेस्तिद फ्रॉम दी मदर मेक्स सेन्स बिकोज़ दी मदर एंड हर डेवलपिंग फीटस आर प्री -वायर्ड टू टोलारेट ईच अदर ।
अब देखना बस यह बाकी है क्या प्रत्यारोपित कलम कोशिकाएं बेबीज़ में भी कामयाब होतीं हैं या नहीं ।
गर्भावस्था के पहले १२ हफ़्तों में कितनी ही आनुवंशिक बीमारियों का रोग निदान किया जा सकता है .स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इन रोगों को जन्म पूर्व ही दुरुस्त कर सकता है .बिकोज़ दी इम्प्लान्तिद सेल्स कैन रिप्लेनिश दी बेबीज़ सप्लाई ऑफ़ ब्लड फोर्मिंग सेल्स .
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