कार्निवल ग्लास एक प्रेस्ड ग्लास है ,एक ऐसा पिघला हुआ गरम ग्लास है(हॉट मोल्टन ग्लास है )जिसका अपना कोई रंग (कोई रंगत ,कोई कलर) भी हो यह ज़रूरी नहीं है जब .इसे मेटल मोल्ड्स (धातु से बने हुए सांचों) में डाला जाता है ,यह उन्हीं के रूपाकार में ढल जाता है ।
अभी यह उत्तप्त अवस्था (गरमागरम )में ही होता है ,इसकी सतह पर धात्वीय लवणों (मेटलिक साल्ट्स )के तरह तरह के घोलों से छिडकाव कर दिया जाता है .अब इसे एक बार फिर से गरम किया जाता है ॥
इस प्रकार तैयार हो जाता है एक इंद्र -धनुषी आभा युक्त 'इरिदेसेंत ग्लास वेयर '।
इरिदेसेंत :एक ऐसा ग्लास वेयर जिसकी इंद्र -धनुषी छटा लगातार अपना रंग संयोजन बदले ,चलती -फिरती नजर आये .,शर्त यही है उसे अलग अलग कोणों से निहारा जाए ।
फैंटन आर्ट ग्लास कम्पनी ने सबसे पहले इन्हें १९०८ में प्रस्तुत किया .तब इन्हें कहा जाता था ,'इरिडिल'यूं 'तिफ्फान्य एंड स्तयूबें 'ने इसे 'फाइन ब्लोन आर्ट ग्लास के रूप में परोसा लेकिन फैंटन आर्ट ने इसे सस्ते दामों पर मुहैया करवा लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया ।
इनका स्तेमाल 'कार्निवल इनामात 'के रूप में किया गया ,इसीलिए इन्हें 'कार्निवल ग्लास कहा गया ।
कार्निवल :कार्निवल एक आम आदमी का मेला होता है ,मौज मस्ती ,तफरी ,संगीत सभी कुछ होता है इस,जन - पर्व में .गली गली नृत्य और सगीत प्रस्तुत करती टोलियाँ फिजा को एक आनंद -उत्सव का रंग दे देतीं हैं .तरह तरह की पोशाकें इसमें लोक की झलक देतीं हैं..
रविवार, 27 जून 2010
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1 टिप्पणी:
अच्छी जानकारी
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