सोमवार, 21 जून 2010

जब बच्चे का हाथ गुदा पर जाता है ......

अक्सर बच्चे पिन वोर्म्स (कीट ग्रस्तता )की गिरफ्त में आ जातें हैं .गुदा के गिर्द जलन और खुजली से हैरान परेशान बच्चा बैचैन रहने लगता है ।
पिन -वोर्म :-यह धागे के आकार का एक नीमाटोड़ है .वोर्म है .जो रीढ़ धारी प्राणियों की अंतड़ियों (इन्तेस्ताइन )में परजीवी के रूप में रहता है .यह ओक्स्युरिदाए परिवार का सदस्य है ।
बच्चों को यह कीट -ग्रस्तता बारहा अपने इन्फेस्तिद साथियों से ही लगती है .इसलिए ज़रूरी हो जाता है उन्हें भी डी -वोर्म किया जाए ताकि क्रोस इन्फेक्सन का दुश्चक्र टूटे .दवा दिलवाई जाए डॉक्टरी परामर्श से .ज़रूरी टेस्ट्स (स्टूल आदि )करवाए जाएँ डॉक्टरी निर्देशों के अनुरूप ।
ज़रूरी है बच्चों के नाख़ून बढ़ने ना दिए जाएँ .नियमित काटें जाएँ क्योंकि इन्हीं नाखूनों (फिंगर नेल्स )के बीच छिपे रहतें हैं" एग्स ऑफ़ दी वोर्म्स ".इन्हीं से वह इची बम्स को बारहा खुजलाता है .,आजिज़ आकर .ज़ाहिर है बच्चे की यह आदत जो ओब्सेसन की हद तक जा सकती है .छुडवाई जाए ।
सलाद में खाई जाने वाली कच्ची तरकारियों को पोटेशियम पर -मेग्नेट सोल्यूसन में कुछ देर डूबा कर रखा जाए स्तेमाल से पूर्व .अनंतर साफ़ जल से निथारा जाए .यह भी पिन वोर्म्स की वजह बन सकतीं हैं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-यूं आस्क /अवर एक्सपर्ट्स आंसर्स /डॉ अरविन्द तनेजा ,डायरेक्टर एंड चीफ ,पीडियाट्रिक सर्विसिज़ ,मेक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ,दिल्ली ./प्रिवेंसन ,हेल्थ मैगजीन ,जून अंक ,पृष्ठ ११ .

3 टिप्‍पणियां:

SANSKRITJAGAT ने कहा…

उत्‍तमालेख:

वीभत्‍स दृष्‍यम्

अनुनाद सिंह ने कहा…

बहुत उपयोगी बातें लिखी हैं आपने।

किन्तु लेख थोड़ा और 'साफ' हो सकता था। उचित प्रकार से अनुच्छेद बनायें। हो सके तो पूर्ण विराम के लिये डंडे का प्रयोग करें।

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा आलेख.