क्या क्या जटिलताएं आ सकतीं हैं "आत्मरतिक व्यक्तित्व विकार "में ?
क्योंकि ऐसा व्यक्ति अन्दर से बड़ा ही नाज़ुक ,फ्रेजाइल एगो लिए होता है ,डरा हुआ भी क्योंकि हकीकत वह जानता हैअन्दर से वह टूटा हुआ है इसीलिए बाहर हेंकड़ी ,घमंड और खुद को हर वक्त आगे रखने ,अव्वल समझने की जद्दो -ज़हद ज़ारी रहती है . ऐसे में बीमारी के साथ तालमेल बिठाने के लिए वह ड्रग्स का ,शराब का ,किसी और लत का भी सहारा ले सकता है यही सब चीज़ें परस्पर इक दूसरे की उग्रता को और बढ़ाती चली जातीं हैं .एन्ग्जायती और भी बढ़ जाती है ।
ऐसे में किसी भी स्वस्थ सम्बन्ध को बनाने ,बरकरार रखने में मुश्किल पेश आती है .(ज़ारी...).
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
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