आत्म -रतिक-व्यक्तित्व विकार का इलाज़ कैसे किया जाता है ,क्या होता है ट्रीटमेंट ?
बेशक कोई दवा दारु फार्मा -ट्रीटमेंट एनपीडी का नहीं है लेकिन साइको -थिरेपी (क्लिनिकल कोंसेलर के साथ सलाह मशिवरा )से व्यक्ति दूसरों के साथ कनेक्ट करना ,रिलेट करना ,उनसे सम्बन्ध बनाना सीख सकता है .,सकारात्मक रूप में ,एन ए पोजिटिव मैनर .जिसका उसे फायदा भी मिलता है .मदद मिलती है .भले वह उनसे तादात्म्य स्थापितअभी भी न कर पाए ।
सलाह -मशविरा -चिकित्सा असरग्रस्त व्यक्ति को खुद अपने प्रति नजरिया बदलने ,कुछ हठ्के सोचने -समझने का मौक़ा देती है ।फेंतेसीज़ और यथार्थ का अंतर बतलाती है मशविरा चिकित्सा .
कमसे कम अर्जित व्यवहार को व्यक्ति डी -लर्न कर सकता है यदि "एन पी डी "की समस्या अर्जित व्यवहार से ज्यादा उग्र हुई है ,अलबता यदि इसके बीज बचपन की पेम्प्रिंग (अतिशय तवज्जो ,लाड दुलार ,मनुहार से जुड़े हैं ,तिरस्कार ,अपमान ,प्रताड़ना से जुड़े हैं ,तो फायदा उतना नहीं होगा ,काम चलाऊ ज़रूर होगा ).प्रोग्नोसिस "एन पी डी" की सिवीयारिति(उग्रता )पर निर्भर करेगी .हर मरीज़ के मामले में अलग अलग होगी रोग की गंभीरता के मुताबिक़ .फायदा हो भी सकता है ,नहीं भी ।
व्यवहार और प्रवृत्ति (एतित्युद )बदलने के मौके देती है कोंसेलिंग .अलबत्ता यदि साथ में अवसाद भी है ,कोई और लत भी ,एन्ग्जायती भी है तो उसका अलग से इलाज़ करना होगा क्योंकि इक स्थिति दूसरी को इन हालातों में उग्र बना सकती है ।यही पर दवा की ज़रुरत आती है .
साइको -थिरेपी का मकसद व्यक्ति को खुद का आदर करना ,स्वाभिमानी होना (अभिमानी ,अख्खड़ नहीं )सिखाना है .अपेक्षाओं के प्रति यथार्थपरक नज़रिया बनाने में मदद करती है साइको -थिरेपी .(ज़ारी ...).
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
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