मारिजुआना का बेहद खराब पार्श्वप्रभाव है "पैरानोइआ ".मार्रिजुआना स्मोकर्स (सिगरेट में चरस -गांजा का सेवन करने वाले )और मनो -रोग शिजोफ्रेनिया के रोगी भी इसीपैरानोइआ का बेशुमार अनुभव करतें हैं .पैरानोइअ की हम अलग से भी चर्चा करेंगे फिलवक्त आप इसे शिजोफ्रेनिया एक एहम लक्षण भर मान लें ।
मारिजुआना: आप जानतें हैं गांजे के पौधे के फूल और सुखाई हुई पत्तियों को जलाकर चरस के रूप में भी लोग स्तेमाल करतें हैं .इट इज डी ड्राइड फ्लोवार्स एंड लीव्ज़ ऑफ़ दी इंडियन हेम्प प्लांट ,स्मोक्ड ऑर इटिंन एज ए ड्रग .इट इज ए सोर्स ऑफ़ ड्रग्स मारिजुआना एंड केनाबिस .
आपको लगता है मारिजुआना स्मोक के बाद कोई आपको सता रहा है किसी बड़ी साज़िश के तहत जो आपके खिलाफ चल रही है .शिजोफ्रेनिया का मरीज़ भी यही भ्रांत धारणा पाले रहता है ।
चूहों पर संपन्न एक अध्ययन से अब रिसर्चरों ने पता लगाया है ,(जर्नल ऑफ़ न्यूरोसाइंस में प्रकाशित )मारिजुआना से प्रेरित पैरानोइआ में बेसो - लेटरल एमिग्डाला में चलने वाली रासायनिक गतिविधियाँ इसके प्रभाव में आजातीं हैं ऐसे में मनुष्य ऐसी तमाम गतिविधियों से खौफ खाने डरने लगता है जिनसे आमतौर पर कोई डरता नहीं है .मारिजुआना इसी डर को बढाता है .इसीलिए आदमी मामूली चीज़ों ,स्थान से इनसे जुड़े अनुभवों से खौफ खाने लगता है दिमाग ऐसे ही निराधार नतीजे निकालने भी लगता है .ऐसे डर जिनका इन जगहों से चीज़ों से उतना रिश्ता होता भी नहीं है जितना पोट स्मोकर समझ बैठता है ।
शिजोफ्रेनिया के साथ जी रहे व्यक्तियोंमे भी एमिग्डाला में असामान्यताएँ (एब्नोर्मलेतीज़ )पाई जातीं हैं .प्री -फ्रन्टल कोर्टेक्स में भी .यही दोनों दिमागी हिस्से मारिजुआना और केनाबिस के प्रभाव से भी असर ग्रस्त होकर इमोशनल प्रोसेसिंग को प्रभावित करतें हैं .सताए जाने का भ्रम इनमे से एक है .(ज़ारी...)
गुरुवार, 7 अप्रैल 2011
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