गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

विहंगावलोकन :क्या है पैरानोइअ ?

पैरानोइआ इक ऐसा लक्षण है जिसमे इससे असरग्रस्त व्यक्ति को (पैरानोइड )ऐसा लगता है सारी दुनिया उसीके पीछे पड़ी हुई है .उसके पीठ पीछे सभी लोग उसी की बातें करतें हैं .गहरा अविश्वाश इसके मूल में रहता है पैरानोइड व्यक्ति इसी के चलते कितनो को ही अपने प्रति नाहक ही आक्रामक मानने समझने लगता है खुद भी खुले तौर पर या अ - प्रकट रूप होस्तिलिती दर्शाने लगता है .
बहुत ही संदेही ,शक्की हो जाता है पैरानोइड व्यक्ति ,इसीके चलते होस -टाइल भी हो जाता है .क्योंकि उसे लगता है दूसरे तमाम लोग उसे नुकसान पहुंचाना चाहतें हैं . उसे दुनिया भर से अपने ऊपर हमला होने का ख़तरा महसूस होता है (ख़तरा वास्तव में होता नहीं है ,उसका अपना थ्रेट परसेप्शन है यह ,काल्पनिक जो उसके लिए वास्तविक होता है )।
बेहद का अविश्वाश और शक ही इसकी वजह बनता है .किसी का भी भरोसा नहीं करता ऐसा व्यक्ति ,जबकि माहौल में ऐसा कुछ भी नहीं होता है ।कोई उसका विश्वकाश पात्र बन ही नहीं पाता,लिहाजा किसी के साथ वह अपनी भावना साझा नहीं कर पाता .
पैरानोइआ के दूसरे लक्षण :
(१)सेल्फ रेफ्रेंशियल थिंकिंग यानी उसे लगता है सभी उसीकी चर्चा हमेशा करतें हैं यहाँ तक के गली चलते अजनबियों के बारे में भी उसकी यही राय कायम रहती है .सब की सोच का केंद्र बिंदु वह खुद को ही बनाये रहता है।

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२) .थोट ब्रोडकास्टिंग :उसे लगता है लोग उसके दिल की बात जान लेतें हैं ,उसके दिमाग में जो चल रहा है वह सब कुछ ।
(३)मैजिकल थिंकिंग : उसे ऐसा भी लगता है वह अपने विचारों से दूसरे को भी प्रभावित कर सकता है .उनके कार्यों कार्यों को भी ,विचार सम्प्रेषण कर सकता है ।
(४)थोट इंसर्शन :उसे लगता है लोग उसके दिमाग में बेकार की बातें और विचार घुसा रहें हैं .
(५)थोट विड्रोवल:लोग उसके विचार चुरा रहें हैं ,उसका सारा साहित्यिक काम ,रचनाएं चुरा कर किसी और ने अपने नाम से छपवा लीं हैं ।
(६)आई -डी -इयाज़ ऑफ़ रेफरेंस :उसे लगता है टी वी और रेडिओ उसे ही संबोधित कर रहें हैं .(ज़ारी...)

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