व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ नार्सिस्तिक पर्सनेलिटी डिस -ऑर्डर ?
(१)शेखी खोर (शेख चिल्ली ,शेखी बघारने वाला )तथा स्वकेंद्रित होता है "आत्म- प्रेमी विकार "ग्रस्त व्यक्ति .
(२)चौबीसों घंटा फोकस में बने रहना चाहता है .प्रशंशा भीचाहता रहता है ।
(३)अपने को औरों से श्रेष्ठ मानता है ।
(४)अपने हुनर का,उपलब्धियों का ,
कुछ बढ़ चढ़कर ही बखान करता है ।
(५)औरों से हठकर विशेष व्यवहार किया जाए उसके साथ इसके लिए खुद को सुपात्र मानने लगता है ।ऐसा विश्वाश भी उसमे पैदा हो जाता है ।
(६)बहुत जल्दी आहत हो जाता है लेकिन अपने आहत होने को छिपा जाता है .अकेले में सिक्रेटली मातम मनाता है .ज़ाहिर करने से और आहत हो जाएगा इसीलिए ज़ज्ब कर जाता है आहत होने को ,और आहत होने के लिए बहुत छोटी वजह ही काफी है .बस कोई ज़रा सा आलोचना कर दे .नुश्ख निकाल दे उसकी किसी भी बात में ।
(७)अलावा इसके परिकथाओंमें खोया रहता है बुनता रहता है पल प्रति पल इक फेंटेसी अपने ज़रुरत से ज्यादा कामयाब होने की ,ताकत वर होते जाने की ,बुद्धिमान होतेजाने की ,खूबसूरती की ,प्रेम की .(बतलादें आपको मर्दों में ज्यादा पाया जाता है यह विकार ,खुद को अफलातून समझने की लाचारी और भ्रम ।).
(८)खुद को अति -विशिष्ट ही नहीं मानता यह भी समझता है कुछ अति -विशिष्ट व्यक्ति ही उसके जैसे यूनीक व्यक्ति को जान समझ सकतें हैं ,सबके बसकी सौदा नहीं है यह ।
(९)उसे लगता है जो वह मानता समझता है उससे दूसरे खुद -बा -खुद सहमत हो जायेंगे .ऐसी अपेक्षा उसकी बरकरार रहती है ।
(१०)दूसरे के साथ उसकी कभी भी तदानु -भूति (एम्पैथी )नहीं होती क्योंकि दूसरों की भावनाओं ,आवश्यकताओं को जान पाना ,औरों के नज़रिए से वाकिफ होने की उसमे कूवत ही नहीं रहती ।
(११ )औरों के प्रति ईर्ष्या उसका स्थाई भाव है .वह यह भी मानता और दूसरे सभी लोग भी उससे जलतें हैं ईर्ष्या और द्वेष रखतें हैं .
(१२)अतिशय संवेदनशीलता किसी भी अपमान ,हार -पराजय के प्रति चाहे वह कल्पित ही क्यों न हो ,क्रोध शर्म और अपमान इक साथ ऐसे में उसका घेराव करने लगतें हैं ,लेकिन बन्दा डिनायल के मूड में बना रहता है ।
(१३ )बेहद अख्खड़पना और अभिमान से भरा रहता है यह व्यक्ति ।
(ज़ारी ....)
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
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