सोमवार, 11 अप्रैल 2011

डायबिटीज़ फुट अल्सर्स (ज़ारी ......)

गत पोस्ट से आगे .....
गत पोस्ट में आंकड़े सम्बन्धी इक गड़बड़ी हो गई थी हमसे .अमरीका में कुल इक करोड़ अस्सी लाख डायबिटीज़ की दायगनोज्द मामले हैं न कि अठारह लाख .(गलती के लिए खेद है -वीरुभाई )।
अलावा इसके अल्सर्स का इलाज़ भी एग्रेसिविली किया जाता है (जल्दी तो शुरू किया ही जाना चाहिए पताचलते ही ).वरना ठीक होने के आसार कम ही रहतें हैं ।
दाय्बेतिक फुट अल्सर्स के रोग निदान के लिए व्यापक वैस्क्युअलर परीक्षण ज़रूरी होता है .क्योंकि डायबिटीज़ से ग्रस्त व्यक्तियों में पेरिफरल आर्तीरियल डीज़ीज़ का जोखिम बढा हुआ रहता है .यह स्थिति पैदा तब होती है जब ,पैरों और टांगों की और रक्त प्रवाह (सर्क्युलेशनटू दी लेग्स एंड फीट ) या तो केल्सिफिकेशन होने से अवरुद्ध हो जाता है या कमतर हो जाता है ।
पूअर ब्लड सर्क्युलेशन ही पैरों में पीड़ा और डिस -कलारेशन (पैरों की चमड़ी का रंग उड़ जाने बदरंग होजाने )की वजह बनता है .-(एन इनक्रीज इन ए रेड कलर ,ए डस्की ब्ल्युइश कलर या फिर कभी कभार टोज़ का काला पड़ जाना टांग के काटे जाने की वजह बनता है ।
सावधानी यही है :यदि कोई कट ,सोर या वुंड (घाव )हफ्ते दो में नहीं भरताहै तब अविलम्ब एक पोडिया -ट्रिस्ट या फिर वुंड के -यर के माहिर के पास पहुँचिये .
डायबिटीज़ फुट अल्सर्स का यदि परिवार में पूर्व -वृत्तांत रहा है ,तब भी माहिर से मिलने में देरी बिलकुल नहीं करनी चाहिए ।
इन दिनों नए -नए इलाज़ ज़रूर आगये हैं लेकिन इनमे से कोई एक इलाज़ सिल्वर बुलेट नहीं है अंतिम नहीं है हरेक घाव के लिए ।
अलबत्ता माहिर निम्न इलाजों की सिफारिश करतें हैं :
(१)एडवांस्ड स्किन सेल सब्स्ती -टयूट इन-क्ल्युद डर्मा -ग्राफ्ट एंड एप्ली -ग्राफ .दोनों ही चमड़ी पैबंद "नेओनातल फॉर -स्किन से जुटाए जातें हैं .
(२)ए फ्रोथ फेक्टर जेल ,"रेग्रानेक्स "।
(३)हाई -पर -बारिक -ऑक्सीजन- थिरेपी :यह चिकित्सा भी घावों को भरने तथा रोग संक्रमण में असरकारी सिद्ध हुई है ।
मोस्ट एक्साइटिंग ऑफ़ आल इज "पेरिफरल री -वैस्क्युलेराइज़ेशन "यह हार्ट की एंजियो -प्लास्टी से मिलता जुलता ही प्रोस्सिज़र है जो दिल की बीमारियों के तथा अन्य माहिरों द्वारा ही सम्पन्न किया जाता है . यह असली समस्या का निदान प्रस्तुत करता है पेरिफरल फ्लो को सामान्य बना ता है ,टांग में आचुके अवरोध(ब्लोकेज ) को खोल देता है .
बेशक कई माहिरों की ज़रुरत अकसर पड़ जाती है लेकिन यहाँ मामला सिर्फ टांग को बचाने से नहीं एक ज़िन्दगी को बचाने से जुड़ा है .बचाव में ही बचाव है .

3 टिप्‍पणियां:

Kunwar Kusumesh ने कहा…

आपका आलेख जानकारीपरक एवं लोकोपयोगी है ,पढ़कर अच्छा लगा.

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

डायबिटीज़की इतनी विस्तृत जानकारी के लिए शुक्रिया आद वीरू जी ....

virendra sharma ने कहा…

kunvar kusumeshji ,Harkeerat "heer "ji hauslaa afzaai ke liye shukriyaa ,aisi tippani hi lekhan ko sapraan karti hai .
veerubhai .