रविवार, 10 अप्रैल 2011

सम अदर इन्दिकेसंस फॉर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम दिस -ऑर्डर्स.

(१)पूअर आई कोंटेक्ट (ऐसा बच्चा जो आत्म विमोह से ग्रस्त रहता है ,आँखों में आँख डाल कर अपनी कहना तो क्या मिलातें ही नहीं हैं आँखें सामने वाले से कहीं और ही देख रहें होतें हैं जब उन्हें संबोधित किया जाता है ।
(२) ऐसा लगता है आत्म विमोह से ग्रस्त बच्चे को खिलौनों से कैसे खेला जाए यह पता ही नहीं होता है .अलबत्ता पंक्ति में बे- तरतीब छोटी बड़ी खिलौना कारों को जंचा सकतें हैं फ़िर एक के ऊपर एक स्टेक कर सकतें हैं ये खिलौनों को .लेकिन रोजाना इसी क्रम में ही ये इन्हें समायोजित करेंगे .किसी नए खिलौने को देखकर ये मचलेंगे नहीं जिद नहीं करेंगे उसे लेने की ।
(३)हो सकता है किसी एक ख़ास खिलौने से इनका मोह हो जाए .बस फ़िर उसी के साथ इनकी हुकिंग रहेगी ।
(४)कई मर्तबा लगेगा ये ऊंचा सुनतें हैं (हीयरिंग इम -पेयार्ड हैं )।
सोसल सिम्टम्स:कहा भी गया है मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जन्म से ही कितना ही छोटा बच्चा हो नोटिस लेता है दूसरे लोगों की उपस्थिति का ,इन -वोलंटरी स्माइल भी देता है ,देखता भी है कुछ को गौर से ,स्ट्रोंग लाइक्स और डिस -लाइक्स भी रखता है मसलन किसी की गोद में कूद के जाएगा किसी और के आग्रह पर दूसरी तरहऔर दूसरी तरफ मुह मोड़ लेगा ।
लेकिन आत्म विमोही बच्चे ऐसी कोई प्रति -क्रिया जिज्ञासा व्यक्त नहीं करतें हैं इन -डिफरेंट बने रहतें हैंऔरों के प्रति . .जन्म केबाद के शुरूआती महीनों में ही कितने ही शिशु आँख मिलाने से बचतें हैं . अकेले रहना ज्यादा पसंद करतें हैं अकसर कुछ बच्चों में अतिरिक्त प्रतिभा होती है कला य़ा फ़िर विज्ञान के क्षेत्र में "दे कैन डूहायर मेथेमेटिक्स ,सोल्व मेक्स्वेल्स इकुवेसंस,सुडुको,।
एक ही रास्तों से इन्हें आना जाना पसंद है घर में फर्नीचर का एक ही क्रम ,सभी चीज़ों में रोज़ एक जैसी सेम्नेस इन्हें चाहिए ।
इनकी तरफ कोई ध्यान दे इन्हें गोद में उठाए ,प्यार करे ,कोली भरे इनकी ,आलिगन करे प्रेम से स्नेह और दुलार से ये विरोध करते हैं .इस सबका .
बड़े होते हुए भी ये माँ -बाप के गुस्से और अतिरिक्त दुलार से बे -असर ,अ -प्रभावित रहते दिखते हैं .बेशक इन्हें माँ -बाप से प्यार होता है अटेचमेंट होता है लेकिन उसकी अभिव्यक्ति बूझना समझ लेना मुश्किल रहता है क्योंकि उसे ज़ाहिर करने का ढंग अलग ,अन -युज्युअल होता है जिसे समझने में अकसर माँ -बाप से भी चूक हो सकती है ,माहिरों का यही कहना है ।
माँ -बाप को गलत फ़हमी भी हो सकती है हो जाती है उनका बच्चा उन्हें पसंद नहीं करता है .बच्चों के साथ खेलने , लाड दुलार करने से प्राप्त सुख से वे वंचित रह जातें हैं किसी अनुक्रिया के अभाव में ।
तादात्म्य होना दूसरे की भावना सुख दुःख के प्रति तो दूर ऐसे आत्म विमोही बच्चे अकसर दूसरे की भावना को समझ ही नहीं पाते दूसरे कैसा महसूस कर रहें हैं यह जानने में इन्हें वक्त लगता है इनकी कोई गति नहीं होती इस दिशा में और यह एक बड़ा सोसल लोस है इनके लिए दूसरे के मनो भावों को न बांच पाना न क्रोध के न लाड के न सुख के न दुःख के ।
इनकी तरफ देखकर स्माइल ,विंक य़ा फ़िर ग्राइमेस(तरह तरह की शक्लें बनाना )करने का इनके लिए कोई अर्थ नहीं होता ।
"कम हेयर "-का इनके लिए हमेशा एक ही मतलब होता है चाहे वह आदेश के स्वर में डाट डपट के लिए धमकाने के लिए कहा गया हो य़ा पुचकारने के लिए .कहने वाला यह कहते हुए-कम हेयर अपनी बाहें फैला रहा हैमुस्काते हुए उसे गोद में उठाने के आशय से य़ा फ़िर धौल ज़माना चाहता है उसकी बेक पर ,हिप्स पर .उसके लिए दोनों स्थितियां यकसां हैं ।
इसीलिए उसे सामाजिक दायरा एक जंगल लगता है भ्रमित करने चकराने वाला लगता है जहां उसके लिए सामने वाले के जेस्चर्स का कोई मतलब नहीं है .
दूसरे के नज़रिए से इसीलिए ये चीज़ों वस्तुस्थिति को तौल ही नहीं पाते ,बूझ समझ ही नहीं पाते .एक पांच साल कासामान्य बच्चा जबकि अच्छी तरह से जानता है और मानता है दूसरेलोगों के पास अलग सूचनाएं हैं अलग उनकी भावनाएं है उनकी , अलग लक्ष्य हैं ,पसंदगी ना - पसंदगी है जो उससे फर्क है .लेकिन आत्म विमोही ऐसी किसी भी समझ से वंचित ही रहता है .इसीलिए वह दूसरों के एक्संस और इरादों को समझ नहीं पाता .भांप नहीं पाता सामने वाला क्या करने कहने जा रहा है .डिस इज ए सोसल लोसतू देम,टू दीऔटिस्तिक चिल्ड्रन ।
अपने संवेगों पर ही उनका कहाँ बस चलता है .कई आत्म -विमोहियों को अपने इमोसंस को रेग्युलेट करने संवेगों कामौके के अनुरूप विनियमन करने में दिक्कत आती है ।
मसलन कई मर्तबा बिना बात क्लास में चिल्लाना शुरू कर देंगें ,य़ा फ़िर अनर्गल निर -अर्थक शब्द बोलते चले जायेंगे .कई मर्तबा ये बेहद आक्रामक भी हो जातें हैं डिस -रप्तिव भी सब कुछ विच्छिन्न तहस नहस करने पर आमादा ऐसे में सोसल रिलेशन शिप बनाने में बाधा आती ही आती है .
खासकर एक नए अजनबी माहौल में ,ओवर -वेल्मिंग माहौल में ये अपने ऊपर से नियंत्रण खो देतें हैं .हताश और नाराज होने पर भी ये ऐसा ही अनियंत्रित व्यवहार कर सकतें हैं
ये चीज़ें भी तोड़ सकतें हैं हताशा में दूसरे को खुद अपने को चोट भी पहुंचा सकतें हैं .कुछ अपने ही बाल नोच सकतें हैं दीवार से सिर पटकते रह सकतें हैं ,अपनी ही बाजू पर काट बी सकतें हैं ।
इन्हें खतरे का एहसास नहीं होता ,ऊंचाई से गिरने का डर नहीं होता ।
गिरने पर हड्डी टूट जाए तो इन्हें दर्द नहीं होता है ऐसी ही इनकी सेंसिटिविटी .(ज़ारी ....)





(३)

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