मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

क्यों बेहतर समझी जाती हैं डार्क चोकोलेट्सप्रो - बायोटिक्स की डिलीवरी के लिए (ज़ारी...).

प्रो -बायोटिक्स एकजीवित आवयविक संगठन (लाइव माइक्रो ओर्गेनिज्म का ऐसा समूह है )जो मेहमान की सेहत की पूरी खातिर तवज्जो करता है बस वहां तक इसे पहुंचाना होता है ।आम भाषा में कहें तो यह मित्र जीवाणु समूह है ,गुड बेक्टीरिया है .
तकरीबन ४०० किस्म की माइक्रो -ओर्गेनिज्म हमारे शरीर में हैं जिनमे से ८५ %सेहत के लिए अच्छे हैं ,बस गट तक उदर के तेज़ाब से बचाते हुए इन्हें पहुंचा ना होता है .हमारा शरीर जिन ईंटों (कोशाओं ,सेल्स )से बना है इन जीवाणुओं की संख्या उससे १०-२० गुना ज्यादा है .किसी भी समय पर पृथ्वी पर जितने प्राणी हो सकतें हैं ये उस संख्या से भी कहीं ज्यादा रहतें हैं ।
लेकिन आधुनिक जीवन का खानपान जिसमे सुगर ,परिष्कृत कार्बो -हाई -ड्रेट्स ,अन्हेल्दी फैट्स ,अनेक रसायनों और विषाक्त पदार्थों का डेरा होता है ,टोक्सिक इन -ग्रेदियेंट्स रहतें हैं गट से इस माइक्रो -फ्लोरा को नष्ट करने की पूरी चेष्टा करतें हैं ।
डार्क चोकलेट्स एक तरफ प्रो -बायो -टिक्स द्वारा तैयार बायो -साल्ट्स को नष्ट कर देतें हैं वहीँ पेट में बनने वाले तेज़ाब से बचाव करतें हैं दोश्त जीवाणुओं का .हानिकारक बेक्टीरिया के कुनबे को बढ़ने से रोकतेंहैं .अपचयन की दर (मेटाबोलिज्म )को तेज़ करते हैं ,असाई बेरी के साथ डार्क चोकोलेट्स का संग साथ एक ही सर्विंग में हमारे शरीर को २२५० मिलीग्राम फ़्लविनोइद्स मुहैया करवा देता है .एक अरब प्रो -बायो -टिक्स एक सर्विंग से दे देता .ओप्तिमल इंटेस -टाइन फंक्शन के लिए (अंतड़ियों के काम को आदर्श बनाए रखने के लिए )भी ज़रूरी है ताकि लोग डाई -जेस्तिव स्ट्रेस से बचे रहें . इर्रितेबिल बौवल से बचाव करता है डार्क चोकलेट ।
इसमें लेक्टिक एसिड बेसैलास -हेल्वेटी -कस - बाई -फ़ीडो - बेक्तीरियम लोंगम जीवाणुओं का बाहुल्य आधुनिक खान- पान से बिगड़े सेहत के संतुलन को दुरुस्त करता हैं .

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