मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

कैन ब्रेस्ट मिल्क प्रिडिक्ट "ब्रेस्ट कैंसर रिस्क "?

कैन ब्रेस्ट मिल्क प्रिडिक्ट कैंसर रिस्क ?(सी एन एन हेल्थ ,अप्रैल ०४ ,२०११ )।
ओरलेंडो (फ्लोरिडा )में इन दिनों चल रही अमरीकी कैंसर संगठन की वार्षिक बैठक में पढ़े गए इक शोध पत्र के अनुसार आइन्दा "ब्रेस्ट - मिल्क "का स्तेमाल "ब्रेस्ट कैंसर "की शिनाख्त ,अर्ली डायग्नोसिस के बतौर किया जा सकेगा .
इस अध्ययन के तहत रिसर्चरों ने ऐसी २५० महिलाओं को४१ राज्यों से शरीक किया जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा बना हुआ था जो या तो स्तन ऊतकों की बारीक जांच( बायोप्सी) पहले ही करवा चुकी थीं या करवाने जा रहीं थीं .स्तन पान सभी करवा रहीं थी और सभी ने सहर्ष इस अध्ययन के लिए ब्रेस्ट मिल्क के सेम्पिल्स जांच के लिए भी दिए .
तर्क यह है ब्रेस्ट मिल्क में लाखों लाख कोशायें (सेल्स )रहतीं हैं जो स्तन के अलग अलग भागों से झरतीं हैं जबकि बायोप्सी जांच किसी इक छोटे से हिस्से के ऊतकों की ही हो पाती है .
अलावा इसके मलिग्नेंत (कैंसर ग्रस्त /संक्रमित सेल्स /कोशाओं )का एपिजेनिक प्रोफाइल मिथाई -लेशन की प्रक्रिया के चलते जुदा किस्म का हो जाता है ।
एपिजेनिक प्रोफाइल /एपिजिनेसिस :एकोर्डिंग टू दिस थियरी दी डिवलपमेंट ऑफ़ तिश्युज़ एंड ओर्गेंस ड्यूरिंग एम्ब्रियोनिक डिवलपमेंट प्रोसीड्स बाई सक्सेसिव ग्रेज्युअल चेंज .
मिथाई -लेशन:मिथाई -लेशन इज टू रिप्लेस वन और मोर हाइड्रोजन एटम्स इन ए मोलिक्युल बाई मिथाइल ग्रुप ऑर टू मिक्स सम थिंग विद मिथेनोल .
खासकर मिथाई -लेशन में यहाँ मिथाइल ग्रुप्स डी एन ए से नथ्थी हो जातें हैं जो जींस को ऑन ऑर ऑफ़ करतें रहतें हैं ,कैंसर कोशाओं में ऐसे ज्यादा मिथाइल समूह डी एन ए से अटेच हो जातें हैं ।
अलग अलग किस्म के कैंसरों में इस प्रकार दर्ज़नों जींस (जीवन खंड ,जीवन इकाइयां )का मिथाइलिकरन हो जाता है ।

बस ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद सेल्स में इसी मिथाइल्करन(मिथाई -लेशन )की जांच की जाती है . बस इसके कैंसर ग्रस्त होने की संभावना आंक ली जाती है .और ऐसा कैंसर के पनपने के शुरूआती चरण में ही होता है इसीलिए सब्जेक्ट को (असरग्रस्त महिला को )खबरदार कर दिया जाता है समय से ।ताकि कैंसर को पनपने से रोके रखा जा सके ,बचावी उपाय के साथ साथ इसकी काट की जा सके ।
दर्ज़नोंऐसे जींस की मिथाई -लेशन दर की अलग अलग सेम्पिल्स लेकर तुलना की गई .,जिनका सम्बन्ध ब्रेस्ट कैंसर से रहता है .जिन महिलाओं ने बायोप्सी करवाली थी उनकी तथा जिन्होंने नहीं करवाई थी दोनों की ब्रेस्ट मिल्क सेल्स के मिथाई -लेशन की भी तुलना की गई ।
पता चला मिथाई -लेशन की दर उन महिलाओं में ज्यादा है जो ऊतक -सूक्ष्म -जांच (बायोप्सी )करवा चुकीं थीं ।
इनकी तुलना पूर्व संपन्न अध्ययन में उन १०२ महिलाओं के उन्हीं १२ जींस में होने वाले मिथाई -लेशन रेट से भी की गई जिनका सम्बन्ध ब्रेस्ट कैंसर से है ,ये तमाम महिलायें स्वस्थ थीं (कंट्रोल ग्रुप )।
जोखिम बढाने वाले तमाम माहौल से ताल्लुक रखने वाले घटकों (एन -वाय्रंमेंतल फेक्टर्स )पर भी गौर किया गया .
ताकि किसी भी प्रकार की त्रुटी से बचा जा सके .फिर भी मिथाई -लेशन और संभावित कैंसर में सम्बन्ध पुख्ता दिखा ।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है जो माताएं स्तन पान करवा रहीं हैं वह नन्ने शिशु को कैंसर सेल्स फीड कर रहीं हैं .स्तन पान से प्राप्त तमाम प्रोटीन पेट और पाचन मार्ग में जाकर टूट जातीं हैं .
मिथाई -लेटिद सेल्स और सामान्य सेल्स में शिशु कोई फर्क नहीं करता जहां तक इनके पाचन का सवाल है ,निरापदता का भी ।
जैसे जैसे महिलायें देर से शादी और फिर और देर से बच्चे पैदा करने की तैयारी करतीं हैं वैसे ही वैसे स्तन कैंसर का ख़तरा आधुनिक जीवन में बढ़ता जाता है इसलिए इस अध्ययन का बहुत महत्व हैं उन तमाम महिलाओं के लिए जो स्तन पान करवा रहीं हैं या माँ बनने को तैयार हो रहीं हैं ।
आइन्दा भी यदि ऐसे ही नतीजे दूसरे अध्ययनों से प्राप्त होतें हैं तब ब्रेस्ट मिल्क स्क्रीनिंग रोग निदान का इक सस्ता ज़रिया ,नॉन -इनवेसिव ज़रिया बन सकता है ,बायोप्सी और स्क्रीनिंग से हठकर ।
स्तन पान बच्चे के लिए ही नहीं माँ के लिए भी वरदान सिद्ध हो सकता ,जीवन रक्षक भी .

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