ट्रीट -मेंट्स ऑफ़ पैरानोइया :
इलाज़ के लिए तैयार करना ऐसे व्यक्ति को बहुत ही मुश्किल काम होता है वह आपको ही इलाज़ का पात्र बतलायेगा .आपके नेक इरादे उनके (पैरानोइड पर्स्नालेती से ग्रस्त व्यक्तियों के )शक के दायरे में चले आतें हैं .यहाँ तक की उसे लगता है डॉ .भी आपसे (तीमारदार ,केयर टेकर )से मिला हुआ है ,इक षड्यंत्र में शामिल है उसके खिलाफ ।
दवा दारु को भी वह शक के दायरे में ले आता है (पहले तू खा ,आप खा भी लें तो काम नहीं चलेगा )।
साइको -थिरेपी को पैरानोइड व्यक्ति "माइंड कंट्रोल "समझने लगता है ।
पहले इस संभावना को समझकर रुल आउट करना होता है किसी दवा के असर से तो व्यक्ति पैरानोइड फीचर्स एग्ज़िबित नहीं कर रहा है .जिसे ठीक किया जा सकता है .किसी मेडिकेशन के प्रति यह असर ग्रस्त व्यक्ति का रिएक्शन तो नहीं है ?
आखिर अल्ज़ैमार्स ,हटिंग- टन डिजीज ,डिमेंशिया की अलग किस्मों में ,पार्किन्संज़ में भी मरीज़ के पैरानोइड लक्षणों की उग्रता उनकी बीमारी की उग्रता के कम होते ही घट जाती है ,पैरानोइया के लक्षण दब जातें हैं .
अलबत्ता जैसे जैसे ये तमाम रोग बढ़ते हुए आगे के चरणों में पहुँचते चले जातें हैं पैरानोइआ फिर लौट आता है ।
उन लोगों के मामले में जो शिजोफ्रेनिया या पैरानोइड पर्सनेलिटी डिस -ऑर्डर के दाय्ग्नोज्द मामलें हैं जिनका रोग निदान हो चुका है "एंटी -साईं -कोटिक दवाएं दी जातीं हैं .क्लोर -प्रोमाज़िन,या फिर हेलो -पेरिडोल ,क्लोज़ा -पाइन ,ओलेंज़ा -पाइन ,रिस्पेरिदोने आदि तजवीज़ की जातीं हैं .किस को कितनी दवा कब देनी है यह फैसला इक मनो -रोगों का माहिर ही करता है रोगावस्था के अनुरूप ।
कोगनिटिव बिहेवियर थिरेपी (सी बी टी ):या फिर साइको -थिरेपी की दूसरी तरकीबें ,किस्में ,कुछ लोगों के मामले में मददगार हो सकतीं हैं ।
सी बी टी व्यक्ति को उसके फंक्शन्स और मोतिवेशंस के बारे में आगाह करती है .उसे दूसरे के आशयों के संकेतों को समझने में मदद करती है .डिस -फंक्शनल बिहेवियर मरीज़ का बदलना सी बी टी का लक्ष्य रहता है .
अलबत्ता पैरानोइड व्यक्ति के साथ थिरापेतिक रिलेशन में भी खासी मुश्किल आती है जिसकी वजह उसका अविश्वाश ही बनता है थिरेपिस्ट के प्रति ।
सपोर्ट ग्रुप्स :कुछ पैरानोइड व्यक्तियों के मामले में ये समूह खासे मदद गार सिद्ध होतें हैं ,पारिवारिक सदस्यों के अलावा मरीज़ के दोस्तों को भी इनसे मरीज़ के साथ बेहतर तादात्म्य बिठाने उसकी बेहतर देखभालकरने ,निभाने में मदद मिलती है .(ज़ारी...).
गुरुवार, 7 अप्रैल 2011
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