शिजोफ्रेनिया जैसे लक्ष्ण अन्य मानसिक विकारों (यथा बाईपोलर डिस -ऑर्डर्स )में भी दिखलाई दे सकतें हैं इसलिए कोई एक लक्षण रोग निदान का सुनिश्चित आधार नहीं बन पाता है .
ओवरलैप करतें हैं कुछ लक्षण कई मानसिक बीमारियों में .फिर भी शिजोफ्रेनिया के लक्षणों को तीन श्रेड़ियों में रखा जा सकता है :
(१)पोजिटिव सिम्टम्स(सकारात्मक लक्षण ):सामान्य व्यवहारों का अतिरेक या विकृत होना इन सक्रिय लेकिन अ-सामान्य लक्षणों में पहला नाम -लिया -जा -सकता -है :दिल्युजंस का .
दिल्युज़ंस का ज़िक्र जा सकता है .यानी ऐसी भ्रांत धारणाएं जिनका वास्तविकता से कोई रिश्ता न हो ,बस ज्ञानेन्द्रिय (सेन्स ओर्गेंस )से प्राप्त जानकारी (पर -सेप्शन ,नज़रिए के गड़ बडाने से )की गलत व्याख्या करना ,उसे सही मानना और मानते ही चले जाना चाहें सारे साक्षी उसके विपरीत हों ,उस धारणा का कोई आधार ही ना हो ।
मसलन यह मान लेना घर के पानी में ज़हरीली दवा मिला दी गई है ,नमकीन में हल्दी- राम की भी दवा है उसके लिए खासतौर पर .अब आप कितना ही नमकीन खालें अगला अपनी धारणा पर कायाम रहेगा चाहें आप कितना पानी पीकर दिखला दें .पैकिट पे पैकिट नमकीन के खोल कर खाकर दिखलायें ।डिमोंस -ट्रेशन विल नोट हेल्प .
(२)हेलुसिनेसंस :दृश्य ,श्रव्य ,स्पर्श ,रूप और गंध से जुड़े हो सकतें है हेल्युसिनेसंस .जो चीज़ें ,व्यक्ति ,दृश्यावली दिखलाई दे रही है मरीज़ को, उसका उसके आसपास ,कोई नामो -निशाँ नहीं है ,न कोई आवाज़ है ,न गंध ,न कोई छुवन (कोई उसका स्पर्श नहीं कर रहा है और वह बराबर कह रहा है उसे कोई छू रहा है ,बग्स चल रहें हैं उसकी चमड़ी पर ।).
इन सबमे आम हैं "ऑडियो -हेल्युसिनेसंस "यानी आवाजों का सुनाई देनाउन आवाजों का जो परिवेश में हैं ही नहीं ।
(३)थोट डिस -ऑर्डर :शब्दों को बोल पाने की दिक्कत से साफ़ साफ़ ज़ाहिर होने लगता है विचारों का बिखराव ,बोलते बोलते बीच में रुक जाना ,निर- अर्थक शब्दों को जोड़ना .जिनका कोई मतलब निकलता नहीं है ,शब्दों की सलाद कह दिया जाता है विचारों की इस विच्छिन्नता ,डिस -रप -शन(बिखराव )को ।
(४)डिस -ओर्गेनाइज़्द बिहेवियर :इस अव्यवस्थित व्यवहार का प्रदर्शन बहु- विध हो सकता है ,किडिशबिहेवियर (मूर्खता पूर्ण हरकतों )से लेकर अन -प्री -डिक -टेबिल एजिटेशन तक .आकस्मिक तौर पर भडकना ,आक्रामक हो जाना .उत्तेजित होजाना ।
अब गौर करतें हैं नकारात्मक (निगेटिव सिम्टम्स )पर :
सालों साल ,महीनो पहले पैदा हो सकतें हैं ,नकारात्मक सिम्टम्स ,सकारात्मक बाद में प्रकट होतें हैं मसलन :
(१)रोजमर्रा के कामों में यकायक दिलचस्पी ख़त्म हो जाना ,कौन आपके घर आरहा है कौन जा रहा है आपको कोई मतलब या दिल चस्पी नहीं ,बेशक वह आपका कोई फेवरेट पर्सन ही क्यों न रहा हो ,आप उदासीन बैठे हैं ,भावशून्य ,निरानंद ।
(२)जैसे इमोशंस से आपका नाता ही टूट गया हो ,संवेग हीनता (ज़ज्बातों का नहीं -पन )।
(३)कुछ भी प्लान करने की कूवत का चुक जाना ,गति -विधियों को जैसे सांप सूंघ गया हो ब्रेक लग गया हो ।
(४)पर्सनल हाइजीन (रख रखाव )के प्रति एक दम से ला -परवाह ,उदासीन ।
(५)सोसल विड्रोवल(सामाजिक सरोकारों से हाथ खींच लेना ,न किसी से मिलने की इच्छा न बात करने की .अजीब सा ठंडापन जो आपने इससे पहले नहीं देखा होगा .(मैं ऐसे कई मरीजों की संगत ,सोहबत में रहा हूँ ,निगेटिव लक्षणों के प्रदर्शन को करीब से देख चुका हूँ ।).
(६)लोस ऑफ़ मोटिवेशन (डी -मोटिवेशन ,हतोत्साहित ,अन -प्रेरित किसी भी दिशा में ,काम -काज में )।
(ज़ारी ...)
विशेष :कृपया अगली पोस्ट में पढ़ें :"कोगनिटिव सिम्टम्स "।
शुक्रिया !
शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011
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