देखा जाए तो नहीं क्योंकि शिजोफ्रेनिया एक पीढ़ी से दूसरी में सीधे सीधे नहीं आता है .कोई एकल वजह भी नहीं है इस गंभीर मष्तिष्क विकार की (वास्तव में यह एक ग्रुप है मेंटल डिस -ऑर्डर्स का )।
आनुवंशिक ,मनोवैज्ञानिक तथा पर्यावरणी वजहों का एक जटिल समूह जिन्हें रोग के लिए उत्तरदाई ठाह्राया जा सकता है .कह सकतें हैं शिजोफ्रेनिया इनका ही नतीजा है ।
आनुवंशिक नज़रिए से देखें तो बहुत कुछ खानदानी तौर पर (आनुवंशिक तौर पर ,जेनेटिकली )इन दोनों मानसिक विकारों में सांझा है कोमन भी है ।
दोनों ही विकारों में कुछ ख़ास जीवन इकाइयां इन सिवीइयर ब्रेन डिस -ऑर्डर्स के खतरों को बढ़ा देतीं हैं . ये जीवन खंड दोनों के लिए यकसां हैं ।
लेकिन सच यह भी है दोनों ही विकारों के लिए कुछ विशिष्ट और खासुलखास वजहें भी हैं जो आनुवंशिक हैं ।
जहां तक पर्यावरण का सवाल है ,माहौल - गत(माहौली ) जोखिम जन्म से पहले (गर्भ में भी )भी मौजूद रहता है .
मसलन उन शिशुओं के लिए शिजोफ्रेनिया का जोखिम बढ़ जाता है जिनकी माताओं को खुछ ख़ास संक्रमणों में से कोई एक रहता है ।
अलावा इसके बचपन में जल्दी ही माँ -बाप का गुज़र जाना ,बचपन में गर्दिश के दिन ,मुश्किलातें बचपनकी ,माँ बाप की बेहद की गरीबी ,बचपन में फटकार पड़ते रहना ,दुत्कारे जाना दूर तक ,माँ -बाप की परस्पर हिंसा का साक्षी बनना,किसी भी तरह का एब्यूज (इमोशनल ,सेक्स्युअल ,फिजिकल ),मानसिक और शारीरिक तौर पर वेलबींग की उपेक्षा किया जाना .असुरक्षा की भावना ,इन -सिक्युओर अटेच -मेंट ऐसी ही तमाम वजहें इस मानसिक बीमारी को आगे चलके हवा देतीं हैं दे सकतीं हैं .
एथनिक माइनिओरितीज़ के लिए इस डिस -ऑर्डर का ख़तरा अपेक्षा कृत ज्यादा बना रहता है ऐसा कुछ शोधों से पता चला है .यानी आसपडोस में इस एथनिक समूह को कितना प्रति निधितिव मिलता है यह भी जोखिम या प्रोटेक तिव फेक्टर्स को बढा सकता है ।
ख़ास कर जब इस समूह के सदस्य भी गिनती के ही हों ।
(ज़ारी...).
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