यह आवाहन हमारा नहीं राष्ट्रकी नैतिक चेतना औरनैतिक शक्ति के प्रतीक अन्नाहजारे का है ।
सोचने की बात यह भी है जो राजनीतिक नेता जंतर मंतर पर गए (उमा भारती ,ॐ प्रकाश चौटाला ,मदन लाल खुराना )उन्हें जनता ने वापस क्यों भेज दिया .जनता की नाराजी उन नेताओं से उतनी नहीं थी जितना यु पी ए -२ की वर्तमान शाशन व्यवस्था और सरकार से है .जिसने आज राजनीति को इतना पद दलित और तिरिस्कृत करवा दिया है भ्रष्टाचार का पोषण करके कि आज राजनीति में दूध का धुला और कोई नेता भी जंतर मंतर पर आजाये तो जनता उसे वापस भेज देगी .इस शाशन व्यवस्था में तमाम ऐसे लोग हैं जो ऊपर से ईमानदार बनतें हैं और अपनी छाया में भ्रष्टाचार का पोषण करतें हैं .
आज होते होते स्थिति यह हो गई है यदि राजनीति में कोई धर्मावतार भी आजाये तो जनता उसे तिरिस्कृत करदेगी .राजनीति को इस कदर पद -दलित करने के लिए सोनिया गांधी को जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए .उन्होंने ही इक बिजूके (क्रो -स्केयर -बार ) को प्रधान मंत्री की कार्य -कारी कुर्सी पर बिठाया हुआ है जिनसे पक्षी भी नहीं डरते ।
और आखिर में हम इन मशहूर पंक्तियों के साथ आम ओ ख़ास से ,नौजवानों से ,ललनाओंसे आवाहन करतें है उठो -अना के शुद्धिकरण अभियान में शामिल हो ।
उठो नौजवानों ,सोने के दिन गए ,
ये महफिलें ,ये खिलवतें होने के दिन गए ,
मखमल के तकिये और बिछौने के दिन गए ,
मुंह हाथ आठ नौ बजे धोने के दिन गए ,
किसकाम का वह दरिया जिसमें नहीं रवानी ,
गर जोश दिल में न हो ,किसकाम की जवानी ,
कलंकित होते भारत की छवि को धोने के लिए अन्ना के साथ हो जाएँ -उठो जवानो !
हम भी इस यज्ञ में हव्यसामिग्री ,आहुति ,डालतें हैं ।
इति,अन्ना के प्रति आदर से -
डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश (संस्कृति विचारक )
वीरेंद्र शर्मा (एच .ई .एस .१ )रिटायर्ड .,४३३०९ ,सिल्वर वुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशगन ४८१८८ -१७८१ ।
००१ -७३४ -४४६ -५४५१
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011
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