व्हाट इज डी प्रोग्नोसिस फॉर बाईपोलर डिस -ऑर्डर ?
अच्छी प्रोग्नोसिस के लिए अच्छा इलाज़ सही डायग्नोसिस नियमित दवा लेते रहना बहुत सारे कारक आजातें हैं .बहुत सारे मामलों में रोग का सही निदान ही नहीं हो पाता है ,अन्दर -डायग्नोसिस और मिस -डायग -नोसिस दोनों कई मामलों में रह हो सकतीं हैं .इसलिए प्रोग्नोसिस इक बड़ा ही नाज़ुक मसला है जिसका कोई सुनिश्चित उत्तर नहीं है ,अलग अलग लोगों के लिए यह पूर्वानुमान अलग अलगही हो सकता है इन सारे मुद्दों फेक्टर्स के मद्दे नजर .
यह भी ज़रूरी नहीं है हरेक को समय से और सही प्रतियोगी सक्षम और कारगर इलाज़ मयस्सर हो जाए .
यह (बाईपोलर इलनेस )एक, इक दमसे अपंग -अक्षम बना देने वाली रोगात्मक स्थिति है .मेडिकल कंडीशन है .लेकिन कितने ही लोग इसके साथ कामयाबी के साथ जीवन यापन भी कर रहें हैं .ज़ाहिर है इसके लिए बेहतरीन,सक्षम इलाज़ तो चाहिए ही .बेशक एपिसोड्स (मेनिक और डिप्रेसिव )के बीच रेमीशन का पीरियड भी रहता है जब लक्षण रोग के दबे रहतें हैं ,व्यक्ति एक दमसे सामान्य व्यवहार रखता करताहै चौतरफा ।
भविष्य कथन ,रोग के ठीएक होने के आसार अनेक बातों पर निर्भर करतें हैं :
(१)सही दवा और सटीक खुराक दवा की .मर्ज़ की व्यापक समझ ,इसके दुष्प्रभावों की ,दवा के पार्श्व प्रभावों की ।
(२)मरीज़ का डॉ के कोंसेलर के साथ सकारात्मक भरोसे का रिश्ता ।
(३)गुड फिजिकल हेल्थ जिसके लिए नियमित दिन चर्या कसरत ,पुष्टिकर खुराक,पर्याप्त नींद ,रेग्युलेतिद स्ट्रेस लेविल सभी कुछ चाहिए .
(४)आदतों में मिजाज़ में ,खाने पीने की आदतों में ज़रा से अंतर के प्रति सचेत रहते हुए उनका नोटिस लेना ,ये तमाम बातें मिलकर प्रोग्नोसिस को तय करतीं हैं ।
(ज़ारी...).
गुरुवार, 14 अप्रैल 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
सही कहा आपने....
बहुत सारे मामलों में रोग का सही निदान ही नहीं हो पाता है
बहुत उपयोगी जानकारी....
बहुत उपयोगी लेखमाला.
एक टिप्पणी भेजें