गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

क्या है शिजो -फ्रेनिया ?

शिजो -फ्रेनिया दिमागी विकारों का इक ज़मघटहै ,गंभीर किस्म के दिमागी विकारों का इक वर्ग (ग्रुप )है जिसमे असर ग्रस्तव्यक्ति , वास्तविकता को अलग और अ-सामान्य तरीके से देखता है .,उसकी व्याख्या करता है ।
इससे असरग्रस्त व्यक्ति को तरह तरह की आवाजें सुनाई देतीं हैं ऐसी जो वास्तव में हैं ही नहीं इसके आसपास ,वो व्यक्ति वहां दिखलाई देतें हैं जो वहां है ही नहीं ,उसे लग सकता है उसे कोई छू रहा है जबकि वहां कोई है नहीं ,कीड़े रेंगते महसूस होतें हैं अपनी चमड़ी पर ,गंधें और स्वाद भीलेता है ये अनुभूति में .गरज ये सभी सेन्स ओर्गेंस (ज्ञानेन्द्रियाँ से प्राप्त अनुभव ,पर सेप्शन ,नज़रिया गड़ -बड़ाया रहता है .)।
कह सकतें हैं यही हेल्युसिनेसंस ,और असंगत व्यवहार, सोच शिजोफ्रेनिया की वजह से है .(शिजो -फ्रेनिया की वजह भी हो सकता है क्योंकि ब्रेन केमिस्ट्री इनकी जुदा है जो स्पर्श ,रूप रस गंध ,दृश्य और श्रवण को संचालित करती है .).
यही वजह है इनकी सामान्य तरीके से काम करने की शक्ति छीजती चली जाती है यह खुद अपनी भी देख भाल,संभाल नहीं करपातेंहैं .
मर्दों में इन दिमागी विकारों के समूह के होने की संभावना औरतों से १.५ गुना ज्यादा बनी रहती है लक्षणों की शुरुआत भी किशोरावस्था के आखिरी चरण या फिर बीस के पेटे के शुरूआती बरसों में(अर्ली टवें -टीज़ ।
जबकि औरतों में बीस के पेटे के मध्य में या फिर थर्तीज़ में ,.शिजोफ्रेनिया के लक्षण सिर उठातें हैं ।
फिलवक्त इक फीसद अमरीकी शिज़ोफ्रेनिक हैं तकरीबन बीस लाख .शिजोफ्रेनिया का मतलब है :
सिम्ताम्स ऑफ़ थोट ,बिहेवियर एंड सोसल प्रोब्लम्स ।
शिजोफ्रेनिया से जुडी "थोट प्रोब्लम "जीवन और जगत को जुदा तरीके से देखने का नज़रिया जिसका यथार्थ से कुछ लेना देना नहीं है "साईं-कोसिस "कहलाता है ।
जब वह बोलता है तब यह पता नहीं चलता किस चीज़ के बारे में बोल रहा है ,पूरा संभाषण अव्यवस्थित रहता है जिसका आप कोई अर्थ नहीं लगा सकते ।
कई व्यवहार (फिजिकली रिजिड या लेक्स बिहेवियर ,कै-टा -टोनिया )आपकी समझ में नहीं आयेंगे ,बिला वजह हाथ उठा रहा है ,ऊपर की ओर जड़ -वत बना ।जैसे कोई आदेश हो ऐसा करते रहने का .
सपाट भावशून्य ,चेहरा ,घंटों पसरी उदासीनता ,यूं देखने में कम्पोज़ भी लगेगा जब तक कुछ बोलेगा नहीं .बोलने पर उसकी स्थिति स्पष्ट होती है .पता चलता है कहीं कुछ गलत ,गड़ -बड़है इसके साथ .
अलावा इसके उसके अपने और ओरों के बारे में विचार बड़े बिज़ा(अनोखे )रहतें हैं वह समझता है उसके खिलाफ कोई षड्यंत्र चल रहा है जिसमे बाकी सभी साझेदार हैं ,रेडिओ से उसी के विचारों का प्रसारण हो रहा है .(इस स्थिति को ही भ्रांत धारणा या दिल्युज़ं कहा जाता है )।
प्रचलित धारणा के विपरीत जैसा कै लोग गलती से मान समझ बैठें हैं ,शिजोफ्रेनिया का मतलब न तो "स्प्लिट पर- सनेलिती "है और नाही "मल्टी -पल पर -सनेलिती ".अलबत्ता शाब्दिक अर्थ ज़रूर "स्प्लिट माइंड "है ,लेकिन इसका मतलब यहाँ सामान्य विचार प्रक्रिया और संवेगों का संतुलन टूट जाना है ,विछिन्न (डिस -रप्त)हो जाना है इमोशंस और थिंकिंग का बेलेंस ।
शिजो -फ्रेनिया इक क्रोनिक कंडीशन जिसमे ताउम्र इलाज़ की ज़रुरत पडती है ।
(ज़ारी...).

2 टिप्‍पणियां:

Dr Varsha Singh ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी...बहुत अच्छा लेख...

मुझे लगता है कि आजकल का मानसिक दबाव का वातावरण भी शिजो -फ्रेनिया को बढ़वा देता रहता है।

virendra sharma ने कहा…

Bachpan me jhelaa bhogaa tanaav ,badsuluki bhi is vyvhaar kee vajh banti hai jise kah diyaa jaataa "shizo -fre-niyaa "SCHIZOPHRENIA.
shukriyaa Md.
veerubhai .