कसरत लती होना एक मानसिक स्थिति है ,जिसमे कसरत करना कसरती की मजबूरी बन जाती है न करने पर उसे मानसिक यंत्रणा भोगनी पड़ती है ,फिर भले ही वह किसी ऐसी बीमारी की चपेट में ही क्यों न हो जहां कसरत करने से स्थिति और खराब होती हो .यही तो है एक्सरसाइज़ एडिक्शन ,ओब्लिगेतरी एक्सरसाइज़ ,जिमोरेक्सिया ,रेक्सो -एथ्लेतिक्सिकाhai ।
वेट और बॉडी इमेज के प्रति बेहद सचेत रहने की खबरदारी ,कमसे कम ९० मिनिट से दो घंटे तक एक सेशन में व्यायाम करना ,दोहराना ऐसे सेशन को इस एडिक्शन से ग्रस्त लोगों के लिए आम बात है ।कसरत भी अकेले में करेंगे ,वही रिजिड रूटीन वही- वही कसरत दोहरायेंगें .स्केल्स की गुलामी ,बॉडी इमेज की पूजा करंगें इनमे से कुछ लोग (ईटिंग डिस -ऑर्डर वाले ).
ईटिंग डिस -ऑर्डअर्स (बुलीमिया और एनोरेक्सिया )के साथ भी इसके बिना भी यह एडिक्शन लोगों में देखा जा सकता है .यह एक रीयल एडिक्शन है भले इस बात को लेकर विवाद है ,यह प्रा -इमएरी डिस -ऑर्डर है या नहीं इसे लेकर रिसर्चारोंमे एक राय नहीं हैं ।
अलबत्ता जब व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक ,समाज -मनो -वैज्ञानिक, पारिवारिक और प्रोफेशनल एन्वायरन्मेंट काम-काजी माहौल इस एडिक्शन के चलते असर ग्रस्त होने लगे तब यह एक समस्या के रूप में आता है .जिसका बाकायदा इलाज़ होना चाहिए ।
क्योंकी व्यायाम हमारी न्यूरो -केमिस्ट्री को ही बदल डालता है .ओपियेत- रिसेप्टर्स को बंद करने की क्षमता रखने वाले एन्दोर्फिंस शरीर में बनने लगतें हैं vyaayaam se ,एक तरफ ये पैन सिग्नल्स को दिमाग तक पहुँचने से रोक देतें हैं दूसरी तरफ आनंदातिरेक ,सुखानुभूति (यूफोरिया )का एहसास कराते है व्यायाम लती को .कोई बीस तरह से भी ज्यादा किस्म के एन्दोर्फिंस बनाता है हमारा दिमाग (जो मोर्फिन में समाप्त हो वही एंडोर्फिन है ) लेकिन ये अस्थाई साबित होतें हैं क्योंकि एंडोर्फिन एंजाइम इन्हें शरीर से जल्दी ही बेदखल कर देतें हैं इसी लिए बार बार कसरत की तलब होती है कसरती को .ज़िन्दगी की बाकी सब चीज़ें उसके लिए दोयम दर्जे की हो जाती है .यही है कम्प्लासिव ओब्सेसिव एक्सरसाइज़ .(ज़ारी...).
सोमवार, 4 अप्रैल 2011
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2 टिप्पणियां:
सही लिखा है आपने compulsive obsession किसी भी चीज़ का हो... ध्यान देना ज़रूरी है
shukriyaa zanaab kaa .
veerubhai .
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