आत्म विमोह के कारण क्या हैं ?व्हाट आर दी कौज़िज़ ऑफ़ ऑटिज्म ?
तकरीबन १५० बच्चों में एक बच्चा आत्मविमोही मिल जाता है .लेकिन इसकी वजह क्या है यह फिलवक्त ठीक से बतलाना मुश्किल है .कुछ माहिरों और साइंसदानों के अनुसार आत्मविमोह तथा ऐसे ही कई और विकार कुछ ऐसे बच्चों में अपेक्षाकृत ज्यादा देखने में आ सकतें हैं जिनके परिवारों में ,वंश वेळ में यह रोग चलता रहा है ।
एक दम से इसकी सटीक वजह जानना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि हमारा दिमाग बहुत ही जटिल है (संरचनात्मक स्तर पर )।
तकरीबन १०० अरब से ज्यादा कोशिकाएं (नर्व सेल्स ,न्युरोंस )होतीं हैं दिमाग में .दिमाग की एकल कोशिका को न्यूरोन कहा जाता है .इक न्यूरोन दूसरे न्युरानों से सैंकड़ों क्या हज़ारों हज़ार कनेक्शनों के ज़रिये जुड़ा होता है . यही कनेक्शन (न्यूरोन नेट वर्क )एक से दूसरे तक तथा शेष शरीर को सन्देश प्रसारित करतें हैं ,पहुँचातें हैं विविध सूचनाएं ।एक टेलीफोन एक्सचेंज की तरह काम करता है हमारा दिमाग .
यही डाकिये (कनेक्शंस और रासायनिक संदेश्वाहाक ,न्यूरो -ट्रांस -मीटर )न्युरोनों की मार्फ़त हमें जीवन औरबाहरी जगत को अपने आसपास की चीज़ों को देखने ,महसूस करने ,चलने फिरने ,गति करने (मोटर एक्शन )याद रखने ,तथा मिलकर काम करने में मदद करतें हैं . लेकिन यह तभी होता हो जब सब कुछ ठीक ठाकहो सामान्य हो ।कोई न्यूरल -डिस -ऑर्डर न हो .
आत्म -विमोह से ग्रस्त शिशु के दिमाग में किसी वजह से कुछ सेल्स (न्युरोंस ,नर्व सेल्स )तथा कुछ इनसे सम्बद्ध कनेक्शंस ख़ास कर वह जिनका सम्बन्ध संचार (सम्प्रेषण ,अपनी बात कहने की क्षमता ),हमारे संवेगों -भावात्मक आवेगों (इमोशंस )तथा जीवन और जगत को समझने वाली ज्ञानेन्द्रियों (सेन्स -ओर्गेंस )से होता है ,या तो ठीकसे विकसित ही नहीं हो पाते या फिर नष्ट हो जातें हैं ,डेमेज हो जातें हैं .ऐसा क्यों होता है इसे समझने के प्रयास ज़ारी हैं .कारण कुछ भी हो सकता है वायरल इन्फेक्शन से लेकर गैस्ट्रो -इंटेस -टिनल डिस -ऑर्डर ,एन -वायरन -मेंटल फेक्टर्स (पोल्यूशन आदि कुछ भी ),कुछ जीवन खण्डों(जीवन इकाइयों ,जींस ) की गड़बड़ी भी .
(ज़ारी....).
शनिवार, 9 अप्रैल 2011
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2 टिप्पणियां:
ऑटिज्म पर अच्छी जानकारी देने के लिये.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
shukriyaa maim !
veerubhai .
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