रविवार, 13 सितंबर 2009

तोही (संवेदक )दरवाज़े कैसे काम करतें हैं ?

कोई भी ऐसी प्रविधि जो किसी भी भौतिक उत्तेजन का पता भी लगा सकती है ,उसके अनुरूप वांछित क्रिया -अनुक्रिया भी कर सकती है -संवेदक या तोहक कहलाती है ।
भौतिक सम्वेदन कुछ भी हो सकता है ,जैसे गति ,प्रकाश का पड़ना (आपतन ),तापीय विकिरण आदि ।
अलबत्ता तोहक एक ऐसे उपकरण को भी कहा जासकता है ,जिसका स्तेमाल फोटों - न अर्थात प्रकाश ,हमारे शरीर अथवा किसी यंत्र से निकली गर्मी ,गति आदि का पता लगाने के लिए भी किया जाता है ।
बहुअर्थी शब्द है -सेंसर ,एक ऐसी तरकीब जिस की मदद से किसी चीज़ की मौजूदगी ,उसमे होने वाले परिवर्तन को भी दर्ज किया जा सकता है ।
सुरक्षा उपकरण मसलन एक हीट सेंसर ही है जो किसी व्यक्ति या फ़िर किसी इतर प्राणी पशु आदि की तोह ले लेता है .टोस्टर एक इलेक्ट्रोनिक सेंसर से लैस होता है जो ब्रेड पीस (डबल रोटी )की समान एकसार सिंकाई (ब्राउनिंग )का पता लगा लेता है ।
बड़े बडे स्टोर्स और माल्स में आपने देखा होगा दरवाजा आपके दाखिल होने से पहले ही खुल जाता है ,बाहर निकलते ही आप से आप बंद भी हो जाता है .ज़ाहिर है यह कोई जादू नहीं है .दरवाज़े अक्सर मोशन सेंसर या फ़िर प्रिजेंस सेन्सर्स से लैस होतें हैं ।
मोशन सेंसर जब किसी व्यक्ति या कार्ट को अपनी औ आते देखता है ,गति ताड़ कर यह सक्रीय हो जाता है ,यह भी जान लेता है ,आप आ रहें हैं या जा रहें हैं ,इसकी तरफ या इससे दूर (परे ).माइक्रोवेव टेक्नालाजी काम में लेतें हैं -मोशन सेन्सर्स में ,साथ ही डाप्लर प्रभाव का स्तेमाल किया जाता है .राडार ,सोनार और लोनार में भी यही विधि काम में आती है ।
रेलवे प्लेटफार्म पर खडे किसी की प्रतीक्षा में जब आप किसी रेलगाडी को अपनी तरफ़ आते देखतें हैं तो एक दम से धड -धड की आवाज़ का स्वरमान (पिच अथवा तारत्व )बढ़ जाता है ,औ इंजन के आपके पास से गुजर जाने के बाद घट जाता है .स्वर का (आवृत्ति ,फ्रीकुएंसी )का यही उतार चढाव डाप्लर प्रभाव है .यही सितारों के मामले में रेड शिफ्ट (आप औ सितारे के बीच की दूरी का लगातार बढ़ते जाना )औ ब्लू -शिफ्ट दूरी के कम होते चले जाने की इत्तला है .सृष्टि फ़ैल रही है ,सितारे ,मंदाकिनियाँ परस्पर दूर छिटक रहीं हैं इसकी खबर उनके रेड शिफ्ट से ही मिली है (इन पिंडों से निसृत प्रकाश लगातार स्पेक्ट्रम यानी वर्णक्रम के लाल सिरे की और खिसक रहा है ।
सृष्टि के ज्यादातर पिंड रेड शिफ्ट दर्शा रहें हैं ।
मोशन सेंसर उच्च आवृत्ति माइक्रो वेव सिग्नल छोड़तें हैं ,जो पिंड (व्यक्ति या कार्ट ,पशु आदि )से टकरा जब लौट -ते हैं ,गति के हिसाब से इन की आवृत्ति बदल जाती है .यदि पिंड पास आ रहा है तो आवृत्ति बढती है ,दूर जाने पर घट जाती है ।
प्रिजेंस सेंसर गतिशील और गतिहीन दोनों ही किस्म के पिंडों की तोह ले लेता है .इसके लिए ये तोहक इन्फ्रा रेड टेक्नालाजी का स्तेमाल करतें हैं .इनसे एक अदृश्य (अवरक्त स्पंदी संकेत )पल्स्ड इनविजिबिल लाईट सिग्नल निसृत होता है ।
हम जानते हैं -दृश्य प्रकाश की एक छोटी सी पट्टी ही हमारी आँख देख सकती है -जबकि इसके दोनों और अद्रश्य प्रकाश मौजूद है -लाल वर्ण से परे अवरक्त औ नील -बैंजनी से परे -परा -बैंजनी .हमारे शरीर से लगातार अवरक्त विकिरण निकलता रहता है ,त्वचा का स्पर्श -सुख ,छुवन की आंच के पीछे यही इन्फ्रा रेड -रेदिएष्ण है ।सीमा हमारी आँख की है प्रकाश की नहीं ,वह तो -हरी अनंत हरी कथा अनंता की तरह विस्तार लिए है ,दृश्य -अदृश्य पत्तियों में .
सन्दर्भ सामिग्री :-हाउ दो सेंसर डोर्स वर्क ( सन्डे टाइम्स आफ इंडिया ओपन स्पेस,पृष्ठ २४ )।
प्रस्तुती मौलिक एवं अन्यत्र अप्रकाशित है .

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