स्टीवेन स्पैल-बर्ग के निदेशन में एक फिक्शन फ़िल्म बनी थी -"माइनोरिटी रिपोर्ट "जिसका कथानक एक विज्ञान कथा पर आधारित था .फ़िल्म में एक ऐसा पोलिस स्टेशन दिखाया गया है (प्री -क्राइम पुलिस स्टेशन )जो अपराध को घटने से पहले ही रोक देता था .क्या असली जिंदगी में भी ऐसा किसी अपराध रोधी कैमरे से मुमकिन है ,जो वर्तमान क्लोज़ सर्किट कैमरों से तालमेल बिठाकर अपराध को घटने से पहले ही रोक सके ।?
क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट ने अपने एक केन्द्र -सेंटर फार सीक्युओर इन्फार्मेशन टेक्नोलाजीज के विज्ञानियों की देख रेख में एक ऐसी ही प्रणाली -इन्तीग्रेतिद सेंसर इन्फार्मेशन सिस्टम तैयार करली है .यह एक विशेष किस्म की क्लोज़ सर्किट टी .वी .टेक्नालाजी ही है जो अपराधी के अजीबो गरीब व्यवहार ,पोशाक खासकर हुडेड टोप्स (हूडेड केप्स आदि )आदि की शिनाख्त कर एक वर्बल अलर्ट जारी कर देगी ,वारदात से पहले ही अपराधी धर दबोच लिया जाएगा ।
आइन्दा पाँच सालों में युनाईतिद किंडम में ऐसी प्राणाली काम करने लगेगी ,विज्ञानी यही दावा कर रहें हैं .ब्रिटेन के गली कूचों,बसों ,रेलगाडियों ,रेलवे स्टेशनों ,हवाई -अड्डों पर फिलाल जो क्लोज़ सर्किट कैमरे लगें हैं ,यह प्रणाली उनके साथ तालमेल बिठाकर काम करेगी ।
इसका भरोसा उस कंप्यूटर विज़न टेक्नालाजी पर बैठा हुआ है जो क्लोज़ सर्किट कैमरों द्वारा मुहैया करवाई छवियों का विश्लेषण कर अप्रत्यासित व्यवहार करने वाले व्यक्ति को अलग से पहचान लेगी .इस प्रकार एक तरह से इस प्रणाली को संदिग्ध और एंटी -सोसल व्यक्तियों की पहचान करना सिखलाया गया है .यह वैसे ही होगा जैसे स्वान (कुत्ता )किसी अजीबोगरीब डील डोल लिबास वाले व्यक्ति को देख कर भोकने लगता है ।
धीरे धीरे इस प्रणाली में मेटल और मोवमेंट दितेक्तार्स का भी समावेश कर लिया जाएगा ,माइक्रोफोन्स से भी इसे लैस करदिया जाएगा .ताकि तुरत फुरत यह अलर्ट जारी कर सके ।
यूँ ब्रिटेन भर में चालीस लाख क्लोज़ सर्किट कैमरे जगह जगह लगे हैं ,लेकिन अपराध की रोकथाम में इनका कोई विशेष योगदान नहीं है .मज़ा तो तब है -जब अपराध घटने ही ना दिया जाए .और मशीन एक देतरेंटका काम अंजाम दे .
सोमवार, 28 सितंबर 2009
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