बुधवार, 30 सितंबर 2009

मंदी में भी कुछ अच्छाई छिपी है ?

गत शती के तीसरे दशक की महान मंदी भले ही बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के हिसाब से किसी के भी लिए अच्छी नहीं थी -लेकिन इसमे भी कुछ अच्छाई छिपी थी जो आखिरकार सेहत के मुफीद साबित हुई ।
मंदी के उस महान और अप्रत्याशित दौर (१९२९-१९३२ )के गिर्द आगे पीछे के बीस सालों के दौरान लोगों के स्वास्थय का जायजा लिया गया .मिशिगन विश्व -विद्द्यालय के शोध कर्ताओं ने पता लगाया -मंदी के इस अनकूते(अन -अनुमेय)दौर के १९२९ -१९३२ सालों में ही आम अमरीकी (औरत -मर्द ,गोरे काले ,गंदुमी चमड़ी वाले सभी की )की औसत आयु ५७ से बढ़कर ६३ वर्ष हो गई .अलावा इसके मंदी के इस दौरे -दौराँ में बीमारियों और दुर्घटना से मरने वाले लोगों की संख्या में भी कमी दर्ज की गई ।
यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोसल रिसर्च के शोधकर्ता होजे तापिया ग्रानाडोस कहतें हैं भले ही उक्त तथ्य (उत्तरजीविता में वृद्धि )सहज बुद्धि ,सहज बोध को झुठलाता हुआप्रतीत हो ,लेकिन ऐसा हुआ है इसके पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं .आम धारणा जबकि यही रही है ,बेरोज़गारी का दौर सेहत के लिए भी बुरा है ,नुक्सान दाई है ।
उक्त नतीजे पहले निकाले गए नतीजों के अनुरूप ही हैं ,पता चला था आर्थिक संकट की वेला में विभिन्न देशों के लोगों के स्वास्थय में सुधार ही हुआ था ।
हालाकि इसकी वजह बतलाई नहीं गई है ,लेकिन अब ऐसा आभास होता है यकीनी तौर पर -आर्थिक वृद्धि के दौर में लोग जम कर शराब पीतें हैं ,धुआं उडातें हैं -बेतहाशा धूम्र -पान करतें हैं ,कम समय के लिए नींद ले पातें हैं ,ज्यादा तनाव झेलते हैं .

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