सृष्ठी विज्ञानी सृष्टि में व्याप्त गोचर -अगोचर पदार्थ का प़ता लगाने में बराबर मशगूल रहें हैं इसी की एक और कड़ी है -लार्ज हेड्रान कोलाईदर के बाद अब "जेप्लिन -१११।
सृष्टि विज्ञानी अभी तलक द्रव्य की बुनियादी कणिकाओं का ,ऐसी कणिकाओं का जो अपने से और भी छोटी इकाइयों से मिलकर ना बनी हों पता लगाने में असमर्थ रहें हैं -अभी तक सृष्टि का ९५ फीसद पदार्थ अगम -अगोचर -अज्ञेय ही बना हुआ है .डार्क मैटर अपने होने की ख़बर अपने आसपास गुरुत्व बल पैदा करके देता है ,यूँ यह अद्रिशय ही बना रहता है ,गुरुत्व के आधार पर ही इसके होने का कयास लगाया जाता है ।
ब्रितानी विज्ञानियों की एक छोटी सी टोली इन दिनों उत्तरी -इंग्लेंड की जमीन से एक मील नीचेएक पोटाश माइनमें एक अति विशाल (अब तक के सबसे शक्तिशाली कण -त्वरक पर काम कर रही है .मकसद है हाथ ना आने वाले पहेली बने डार्क मैटर की तलाश ।
इस एवज ब्रितानी टीम को ४० लाख पोंड का अनुदान मिला है ।
इस पार्टिकल एक्सालेटर को "जेप्लिन -३ "कहा जा रहा है .,यह क्लीव्लेंद के बौल्ब्य में स्थापित की जा रही है .यह सुविधा क्लीव लैण्ड पोटाश निगम ने मुहैया करवाई है .कॉस्मिक किरणों की बौछार से दूर (ब्रह्मांडीय किरणों की बरसात से बचाते हुए )इस प्रयोगशाला में ऐसी मशीन और उपकरण समायोजित किए गए हैं जो उन कणोंका पता लगायेंगे जिनसे मिलकर डार्क मैटर बना है ।
इन कणों को जिनसे डार्क मैटर बना है -वीकली इन्तेरेक्तिंग मेसिव पार्तिकिल्स भी कहा जाता है .(संक्षेप में विम्प्स )।
ब्रितानी कण -भौतिकी विदों का इरादा एक ऐसी मशीन बना लेने का है -जो संभावित और वांछित कणों की टक्कर झेलने के बाद एक सिग्नल लौटाए .इस सिग्नल (विकरण ?) की पड़ताल करके संभावित कणों की प्रागुक्ति की जाए ,निष्कर्ष निकाले जाएँ ।
आप को याद होगा -लार्ज हेड्रों कोलाईदर में विपरीत दिशाओं से आने वाली शक्ति -शाली टक्कर से पैदा नए कणों की टोह ली जानी थी ,विशाल चुम्बकों में खराबी आने पर प्रयोग मुल्तवी कर दिया गया था ,दुरुस्ती के लिए .कास्मिक किरणें एक प्राकृत लेब का काम करतीं हैं ,अनेक कणों की खोज इन कणों के वायुमंडलीय कणों से टकराव के बाद पैदा नए कणों के रूप में सामने आई है .इसीलिए इस प्रकार के प्रयोग जमीन के नीचे किए जातें हैं ,ताकि कास्मिक किरणों की दखल -अंदाजी से बच्चा जा सके .इस एवज शक्ति शाली कण -तोहीपार्तिकिल दितेक्तार्स काम में लिए जाते हैं .जो डार्क मैटर के मूल भूत कणों का पता लगा सकें .योरपीय न्युक्लीअर रिसर्च ओर्गेनाइज़ेशन और बाउल्बी नवम्बर में अपने प्रयोगों को अंजाम देंगीं .महीनों चलेंगे यह प्रयोग -देखतें हैं -किसके हाथ इलुसिव पार्टिकल्स लगते हैं .जो जीता वही सिकंदर -यानी नोबेल पुरूस्कार का अधिकारी ।
सन्दर्भ सामिग्री :-यु .के. टीम टेक्स आन "सी .इ .आर .एन "इन रेस (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर २८ ,२००९ .पृष्ठ १३ )।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
सोमवार, 28 सितंबर 2009
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