जलवायु के गरमाने तथा तटीय क्षेत्र के कथित विकास के चलते -विश्व की सबसे बड़ी जीवित प्रणाली (ओर्गानिज्म ) के लिए एक बेहद का खतरा पैदा हो गया है ।
एक रक्ताभ (लाल )पत्थर सा जीवित पदार्थ -ऐ लाइन आफ कोरल तट के जल से विल्गी देखी जाती है .यही है -आस्ट्रेलियाई बेरिअर रीफ .जो एक विश्व धरोहर है ,नैना -अभिराम तो है ही .एक लाइव एको सिस्टम है ।
अंग्रेज़ी भाषा में इसे यूँ समझा जा सकता है -ऐ नेरो रिज आफ कोरल (प्रवाल या मूंगा चट्टाने )लाइंग पेरेलल एंड क्लोज़ टू ऐ कोस्ट लाइन एंड सेप्रेटिद फ्राम इट बाई ऐ वाइड डीप लगुन .,इज काल्ड बेरिअर रीफ ।
ग्रीन हाउस गैस औ एनर्जी -गजलर बन चुका इंसान कुछ भी गुल खिला सकता है ।
सिडनी से प्रकाशित एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक इसे बच्चा पाना अब मुश्किल है -बाकी फ़िर वही फलसफा -जाकू राखे साइयां ,मार सके ना कोय ।
होनी तो होकर रहे ,लाख करे किन कोय ।
रिपोर्ट में इस खतरे के लिए साफ़ -साफ़ बतलाया गया है -गैर वैधानिक तरीके से फिशिंग (मच्छी पकड़ )जल गुणवत्ता का ह्रास ,(कोस्टल रन आफ ) कथित विकाश के पैमाने (कोस्टल डिवलपमेंट ) इस खाना खराबी का सबब बन रहें हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :ग्रेट बेरिअर रीफ फेसिज़ वा -इप आउट (टाइम्स आफ इंडिया ,पेज १७ ,सेप्टेम्बर ३ ,२००९ )
गुरुवार, 3 सितंबर 2009
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