अक्सर मूषकराज (चूहों ,चुहियों ,माइस,माउस )को विघ्न -संतोषी (विघ्न -पैदा करने वाला )औ उनकी सवारी करने वाले गणेश को विघ्न -विनाशक ,विघ्न -हर बतलाया जाता है ।
बैसे चूहा बाधाओं के जाल से मुक्ति दिलाता है ,जाल को कुतर फेंक कर ,सांसारिक बाधाओं का ,बन्धनों मोह -पाश का प्रतीक है ,जाल ।
इसलिये जहाँ गणेश होतें हैं ,वहाँ सांसारिक बाधाओं से निजात मिलती है ।इसीलियें गणेश चूहे की सवारी करतें हैं .
चिकित्सा जगत की बड़ी सेवा की है ,मूषक -राज ने ,जितने भी दवाओं के परीक्षण ,आज़माइश होती हैं ,उनका बहुलांश माइस पर ही संपन्न होता है .ह्यूमेन ट्रायल्स का नम्बर तो बहुत बाद में आता है ,अब लगता है ,गणेशजी की कृपा से चिकित्सा कर्मियों को यह इल्म हुआ है ,ऐसे परीक्षण केटर-पिलर्स (इल्ली ,सूंडी ),पतंगा (माथ ,शलभ ,कसारी यानी कपड़े को लगने वाला कीडा ),फ्रूट -फ्लाईज़ पर भी सफलता पूर्वक औ अपेक्षतेkम समय में किए जासकेंगे ।
आयरलेंड के राष्ट्रीय विश्व -विद्द्यालय के जैव -विदों ने पता लगाया है ,चूहों में मौजूद नयूत्रोफिल्स (रोग-प्रति -रक्षा तंत्र की रक्षक स्वेत -रक्त -कोशिकाएं जो सभी स्तन- पाइयों के इम्म्युं सिस्टम का ज़रूरी हिस्सा हैं )तथा कीट -पतंगों में मौजूद हेमातो -साइट्स संक्रमण कारी माइक्रोब्स के प्रति एक सी इम्म्युं रिएक्शन पैदा करतें हैं ।
इस तरह से किए गए दवा परीक्षणों के नतीजे भी ४८ घंटों में ही मिल जातें हैं ,जबकि माइस पर किए गए परीक्षणों के नतीजे ४-६ हफ्तों में ही मिल पातें हैं .कम खर्च बाला नशीं वाला सौदा है ।
अलबत्ता कीट -पतंग हो या फ़िर मूषक राज दोनों ही फ़ूड -चेन का एक ज़रूरी हिस्सा हैं .वृहद् पर्यावरण -पारिस्तिथिकी के पेहुर्वे हैं ,प्रहरीं हैं ,क्यों ना ऐसे परीक्षण कंप्यूटर -सिमुलेशन के जरिये होवें ।
सन्दर्भ सामिग्री :माथ एज गुड एज माइस फॉर ड्रग टेस्ट्स ,सेज स्टडी (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर ९ ,२००९ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
बुधवार, 9 सितंबर 2009
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