गुरुवार, 17 सितंबर 2009

कलर ब्लाइंड -नेस के इलाज़ की उम्मीद बंधी .

अमरीका के वॉशिंगटन औ फ्लोरिडा विश्व -विद्द्यालय के विज्ञानियों ने बंदरों को कलर ब्लाइंड -नेस से निजात दिलवा दी है .बस इनकी कोंस की रेड सेंसिटिविटी बढ़ा कर यह करिश्मा कर दिखाया है विज्ञानियों ने ।
वास्तव में कलर ब्लाइंड पर्सन ट्रेफिक सिग्नल के सही रंगों का जायजा नहीं ले पाता.या तो उसकी लाल रंग के प्रति संवेदी कोन-नुमा आँख के परदे पर मौजूद कोशिका (सेल सेंसिटिव तो रेड कलर )ख़राब होती या फ़िर नीले ,हरे .फलतायाउन्हें बाकी दो रंगों का मिस्र से बना रंग ही दिखलाई देगा ।
लाल हरा नीला कलर ट्राई -एंगिल के तीन सिरे हैं .कलर फतोग्रिफी का आधार यही कलर ट्राई -एंगिल है ।
हमारी आंखों के परदे पर दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं -रोड्स एंड कोंस .रोड्स ब्लेक एंड वाईट की पहचान तथा लाल हरे नीले रंगों के प्रति संवेदी कोंस रंगों की शिनाख्त ।
एक व्यक्ति ऐसा भी होता है जिसे तीनों प्राकृतिक रंगों के स्थान पर सिर्फ़ ग्रे दिखलाई देता है .ऐसा व्यक्ति -मोनो -क्रोमा -सिया से ग्रस्त होता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १७ ,२००९ ,पृष्ठ १९ /कलर ब्लाइंड -नेस -तेबर्स साईं -कलो -पीदिक मेडिकल डिक्शनरी ,१८ एडिशन ,पृष्ठ ४१५
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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