बाबू (हमारे नाना को सभी प्यार से बाबू कहते थे ) स्कूल में कुर्सी पर बैठे बच्चों को पढाते पढाते ही चले गए थे .सुबह के मुश्किल से नौ ही बजे थे .बाद में माँ ने बतलाया था -बाबू को दिल का दौरा पडा था .अच्छे कर्म किए थे चलते हाथ पैर चले गए ,भगवान् सब को ऐसी मौत दे .आज भगवान् यही कर रहा है -माँ ज़िंदा होती तो यही तो कहती ।
लेकिन माँ को क्या पता था -दिल का दौरा सुबह ४- १० बजे के दरमियान अकसर पड़ जाता है ,सोते सोते ही आदमी इस दुनिया से उठ जाता है .दरअसल अब पता चला है -इसी वेला (४-१० बजे प्रातः )अड्रीनल गन्थि से हारमोन एड्रीनेलिन का स्राव अधिकतम होता है .हमारे स्रावी तंत्र का एक एहम हिस्सा है -एड्रिनल ग्लेंड।
अकसर ग़लत खान पान ,भाग daud की जिन्दगी ,व्यायाम का दैनिकी से गायब होना ,धूम्र -पान की ग़लत आदत ,सामिष भोजन का चस्का कब धमनियों के अस्तर में प्लाक की एक तह बना देता है -इसका पता तब चलता है -जब एक दिन सुबह सवेरे यह प्लाक अद्रेनेलिन के स्राव से टूट जाता है ,एक khoon का thakkaa बनता है ,धमनियों में फसताहै ,और साँस की धौकनी (दिल की लुब -डूब )हमेशा हमेशा के लिए बंद हो जाती है ।
लाख कहो -दिन में आधा घंटा ज़रूर पैदल चलो ,या फ़िर रोजाना १० ,००० कदम ,४ -५ बार दिन में हरी सब्जियां और फल खाओ ,शाकाहारी रहो ,सुनता कौन है ?
इसीलिए इस मर्तबा विश्व -स्वास्थय दिवस २००९ का थीम है -वर्क फार हार्ट .वर्क प्लेस पर तनाव मुक्त माहौल बनाओ ,घर का बना साफ़ सुथरा सीधा खाना खाओ या फ़िर वहीं पर ऐसा हेल्दी फ़ूड मुहैया करवाया जाए ,१० मिनिट का काम के दरमियान ब्रेक दिया जाए ,रिलेक्षएशन थिरेपी के लिए .काम के घंटे नियमित किए जाएँ ,जैव घड़ी के साथ ,खाने के टाइम के साथ ज्यादा छेड़छाड़ ना की जाए ।
याद रखा जाए अब दिल के दौरे का स्वरूप और लक्षण भी बदल रहें हैं -आदमी ४० के ऊपर अचानक ब्रेथ लेस नेस ,नाजिया ,लाईट headed ness -(ठीक से ना सोच पाना naa chal paanaa ,दी फीलिंग आफ दिज्जिनेस ओर आफ बीइंग अबाउट तू फेंट ),काफ का गभीर दौरा ,बाजूँ में अचानक दर्द ,दम घुट कर निकलने का एहसास और बस काम ख़त्म -बुजुर्गों के मामले में दवे पाँव आने वाले ऐसे दिल के दौरे की संभावना २० फीसद ज्यादा आंकी गई है ।
साइलेंट हार्ट आतेक ऐसे ही सोते सोते कितनो के ही प्राण पखेरू ले उड़ता है ।
दुनिया भर में दवे पाँव आने वाले दिल के दौरे के मामले बढें हैं ,मसलन अमरीका में सालाना कुल १४ लाख ६० हज़ार हार्ट अतेक्स में १ लाख ९५ हज़ार यानी तकरीबन १३ फीसद मामले दवे पाँव आने वाले साइलेंट हार्ट अटक के ही हैं ।
अमरीकी ह्रदय संघ की २००९ रिपोर्ट के मुताबिक २ लाख लोग dil ke दौरे की बिना शिनाख्त हुए (बिना रोग निदान के )ही चल बस्तें हैं .,सालाना तौर पर .४० -६० फीसद मामलों की ऐसे में शिनाख्त भी नहीं हो सकती ।
मेट्रो हार्ट इंस्टिट्यूट के प्रमुख ह्रदय रोग विद पुरुषोत्तम लाल कहतें हैं ,हार्ट अटक के कुल मामलों में जो अस्पताल तक पहुँच पातें हैं ,मरीज़ का इलेक्तोकार्दियोग्रेम लेने पर पता चलता है ,दिल का दौरा इसे पहले भी पड़ चुका है ,लेकिन मरीज़ को ना तो इसका इल्म ही होता है ,ना उसमे रोग के लक्षण प्रकट होतें हैं ।
इ .सी .जी .में मौजूद क्यू वेव देमेज्द तिस्यु (हृद पेशी का विनष्ट हो चुका भाग ) की साफ़ साफ़ khabar देता है ड्यूक युनिवार्सिती मएडिकल सेंटर ने हालाकि उक्त तथ्य की पुष्टि की है ,लेकिन साइलेंट हार्ट अटक के तमाम मामलों में क्यू -वेव्स की मौजूदगी नहीं रही है ।
ऐसे में एडवांस्ड एम् आर आई तेक्नालोजीज़ का सहारा रह जाता है ,जो देमेज्द तिस्यु का पता लगा सकता है ,चाहे है वह naa maaloom sa hi kyon naa raha ho .भारत में यह तकनीक आने में अभी वक्त लगेगा .कुछ विकसित देशों में यह काम में ली जा रही है .बचाव का एक कारगर तरिका है -जीवन शैली सरल बनाइये .
रविवार, 27 सितंबर 2009
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