साइज़ डज़ मेटर .क्या आदमी के लिंग (शिश्न )के औसत से अपेक्षाकृत थोडा बड़े होने का सम्बन्ध उसकी अन्यों के बनिस्पत अच्छी सेहत से भी है ?
विक्टोरिया यूनिवर्सिटी ,आस्ट्रेलिया के शोध -कर्ताओं द्वारा संपन्न एक अध्धय्यन के मुताबिक सचमुच ऐसे लोग अपने पर ज्यादा भरोसा रखतें हैं और इनका कुलमिलाकर स्वास्थय भी हर लिहाज़ से बेहतर होता है .अपनी छवि निर्माण ,बाडी बिल्ड अप,सेहत के हिसाब से बेहतर तरीके से शेप अप होतें हैं ये लोग -सचेत भी .साइंस -ऐ -गोगो -वेबसाईट ने हाल ही मेंये सब बतलाया है ।
शोध के अगुवा रहीं अन्नाबेल चन इसे लोकर रूम सिंड्रोम कहतीं हैं (लोकर रूम इस,ऐ रूम कंटेनिंग लोकरस ,वेअर पीपुल चेंज देअर क्लोद्स फॉर स्पोर्ट्स आर स्वीमिंग ),जहाँ आदमी आत्म रति ग्रस्त हो जाता है . किशोरिया नग्नावस्था में शीशे के सामने ख़ुद को अकसर निहारतीं हैं ,मुग्ध होतीं हैं अपने ही शरीर पर देहयस्ती पर .मर्दों के मामले में इस दृष्टि से यह अध्धय्यन नया है ।
अपनी कद काठी देह -यष्टि की तुलना अकसर आदमी स्वीकृत आदर्श देह के प्रतिमानों से करता है .वे इस तरफ़ से निश्चिंत रहतें हैं -यौन संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पडेगा ।
कामसूत्र में वात्सायन ने तीन प्रकार के पुरूष गिनाये हैं -अश्व,वृषभ और यह वर्गीकरण उनके लिंगाकार स्वभाव की ख़बर देता है ,बाडी ओडर,स्पर्म (शुक्राणु वीर्य की गंध की भी ).आत्म विश्वाश और ख़ुद पर भरोसे की भी ।
संदर्भित अध्धय्यन में आदमी के शिश्न के आकार (पेनिस साइज़ )बाडी इमेज और मानसिक स्वास्थय की जांच की गई है .औसत से ज्यादा शिश्न आकार वाले लोगों को आत्म विश्वाश से लबालब भरा पाया गया बरक्स उनके जिनका शिश्न आकार औसत या औसत से भी कम था .सेहत के मामले में भी पहले वर्ग के लोग हर दृष्टि से २१ थे .यह आन लाइन अध्धय्यन १८ -७६ साला ४० देशों के ७०० लोगों ने संपन्न किया है ।
अध्धय्यनमें ६ फीसद लोग आदर्श बोडीसाइज़ के बरक्स वर्तमान बोडी साइज़ से भी संतुष्ट थे ,९० फीसद आदर्श से ऊपर (बिगर )होने की तमन्ना रखते थे और ७ फीसद अपने को आदर्श साइज़ से पहले ही ऊपर मानते थे ।
सन्दर्भ सामिग्री :-बिगर ओरगन =हेल्दिअर मेन?(टाइम्स आफ इंडिया सितम्बर २१ ,२००९ ,पृष्ठ १५
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ) .
सोमवार, 21 सितंबर 2009
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