शनिवार, 5 सितंबर 2009

मोटापा क्या बस जीवन खंडों का खेला है ?

विज्ञानी अक्सर कहते हैं हमारे उक्त व्यवहार के लिए फलां जींस -समूह जिम्मेवार है ,वफ़ा औ बेवफाई की भी जींस होती हैं .तो क्या एस .एम् .एस .मेसेजिज़ की तरह जींस को मेट (डिलीट कर ,निष्क्रिय बना )आदमी का व्यवहार ,उसके मोटापे पर नियंत्रण किया जा सकता है ?
"मास्टर स्विच "जीन में कंट्रोल ओबेसिटी -टाइम्स आफ इंडिया (सितम्बर ५ ,२००९ ,पेज १७ )
मिशिगन विश्व विद्यालय के आनुवंशिक विज्ञानी ऐसा मानते हैं -चूहों में एक जींस को निकाल देने ,निष्क्रिय कर देने से मोटापे से शायद निजात पाई जा सकती है ,माइस पर अब तक की गई आज़माइशे ऐसी उम्मीद पैदा करतीं हैं ,अलबत्ता अभी इस दिशा में औ आज़माइश की जानी है ।
ऐसा प्रतीत होता है -आई .के .के .इ नामक सिर्फ़ एक जीन को चूहों से यदि अलग कर दिया जाए तो खान पान से जुड़ी मधुमेह की बीमारी(जीवन शैली रोग सेकेंडरी डाया- बितीज़ )जैसी स्तिथ्तियों से निजात दिलवाई जा सकती है हमे औ तुमको ,उनको औ इनको ।
इसी जीवन खंड का अंतर -सम्बन्ध मोटापे से जोड़ा गया है .यह जीन (आई .के .के .इ ) एक प्रोटीन काईनेज़ (एंजाइम )बनाती है ,इसे भी आई .के .के .इ .कहा गया है ।
एक सामान्यचूहे को जब केलोरी डेंस हाई केलोरी खूराख दी गई तब इस प्रोटीन काईनेज़ का स्तर बढ़ा हुआ दर्ज किया गया .फलतयकेलोरी खर्च करने की दर(मेताबोल्क रेत घट गई ।
चूहों का वजन भी बढ़ गया .हम जानतें हैं औ अच्छी तरह से मानतें हैं ,खान दानी मोटापे से ग्रस्त लोगों की मेटाबोलिक रेट जन्मना ही कम होती है ,अलावा इसके ये लोग ज्यादा फेट सेल्स लिए पैदा होतें हैं (वसा कोशीकाएं औ उनका आकार दोनों ज्यादा होता है ओबेसीज़ में .क्या यह शोध की खिड़की नै रौशनी लाएगी ?
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

1 टिप्पणी:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वीरु भाई, अगर मोटापे से मुक्ति का कोई सरल उपाय हो तो बताईयेगा।