शोर शराबे से भरी सड़कों के किनारे रहने की सौगातें भी कम नहीं हैं .नींद में खलल पड़ती है सो अलग ।
लूँ -न यूनिवर्सिटी हास्पिटल स्वीडन के शोध छात्रों ने उच्च रक्त चाप औ शौर के बीच एक अंतर -सम्बन्ध का पता लगाया है ,६० डेसिबल का लगातार शौर जब कानों पर लगातार पड़ता रहता है ,तब अधेड़ औ जवान भी पहलेप्री -
- हाई -पर- तेंसिव औ फ़िर हाई -पर -टेंशन का ही शिकार होने लगते हैं .आप जानतें हैं -रक्त -चाप अपने में तो अब डिप्रेशन की तरह अलग रोग का दर्जा पा ही गया है ,ह्रदय -रोग ,दाया -बितीज़ एवं स्ट्रोक के खतरे भी बढाता है .एक मेडिकल त्रायाद (ट्राई -एंगिल )है -एक तिकडी है -दुरभिसन्धि है ,हांइ -पर -टेंशन ,कार्दिओवास्कुलर प्रोब्लेम्स औ दाया -बितीज़ के बीच में .एक का निशाना बननेपर दूसरे से भी बचाव ज़रूरी हो जाता है ।
सन्दर्भ सामिग्री :लिविंग नीअर नाय -जी रोड्स रेजिज़ बी .पी .(टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर ११ ,२००९ .पृष्ठ २१ ।)
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
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