गत शताब्दी के उत्तर्रार्द्ध में बृहस्पति ने जिस जटाधारी तारे (धूमकेतु ,कामेट)को अपने गुरुत्वीय जाल में कैद किया था उसे १२ साल बाद अपनी गुरुत्वीय पकड़ से छोडा था .१४ सितम्बर ,२००९,मंगलवार केदिन बर्लिन के नजदीक पोत्स्दम में योरपीय प्लेनेटरी कांग्रेस के समक्ष प्रस्तुत आंकडों में खगोल विज्ञानियों ने उक्त तथ्य का खुलासा किया है ।
सौरमंडल के इस बाहरी औ विशालतम (गुरुत्व औ द्रव्य मान की दृष्टि से )ग्रह ने इसे १२ वर्षों तक अपना चन्द्रमा (उपग्रह )बनाए रखा । यह अवधि १९४९-१९६१ तक विस्तारित थी ,पुच्छल तारे का नाम रहा है -१४७ पी /कुशिदा -मुरमत्सू .यह अब तक बंधक बनाए गए धूमकेतुओं में पांचवा है ,जिसकी शिनाख्त हो सकी है ।
बृहस्पति ने एक गोलरक्षक की तरह अक्सर पृथ्वी की औ आते अन्तरिक्षीय पिंडो को लपक लिया है ,औ पृथ्वी की आसमानी आफतों से हिफाजत की है .यूँ पृथ्वी के लिए जब तब ऐसे खतरों की संभावना व्यक्त की जाती रही है ,बचावी उपाय भी तैयार किए जा रहे है .पृथ्वी पर उल्काओं के बतौर कामेट्स की बरसात होती रही है .उल्काएं (मेतेइओरोइद्स )दरअसल धूमकेतुओं के ही टुकड़े हैं .सूरज के साथ होने वाली हर मुलाक़ात में धूमकेतु अपना १० फीसद द्रव्यामान गला उड़ा देतें हैं ।
यूँ गुरु बृहस्पति में अपनी और बढ़ते धूमकेतुओं इतर आकाशीय पिंडो का मार्ग बदल उन्हें सूरज की और वापस लौटा ले जाने की कूवत भी है.इस पूरी प्रक्रिया को जान बूझ लेने के बाद विज्ञानी पृथ्वी की और
आती आपदाओं से भी पार पा लेना और ऐसी संभावनाओं की प्रागुक्ति करना सीख रहें हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :-जुपिटर स्नेच्ड कामेट ,हेल्ड इत एज मून फार १२ इयर्स (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १५ ,२००९ )पृष्ठ १७ कालम -१ ।
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).
मंगलवार, 15 सितंबर 2009
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