मासाच्युसेट्स इंस्टिट्यूट आफ टेक्नालाजी के शोध -छात्रों को अमरीका के हाई -स्कूलों में आई -लेब्स (आन लाइन प्रयोगशालाये )चालू करने के लिए १०,००००० डालर की राशि अनुदान स्वरूप मिली है .इन आज़माइश -घरों (लेबों)को आसानी से इंटरनेट के ज़रिए स्तेमाल में लिया जा सकता है ,और यह वर्चुअल प्रयोगशालाएं नहीं हैं ,यहाँ बाकायदा काम करने के उपकरण मौजूद हैं ,जो प्रयोग के लिए आन लाइन २४ घंटा उपलब्ध रहेंगे .आप फ़िर दुनिया भर में कहीं भी क्यों ना हों आप के पास बस एक वेब केमरा और रिमोट कंट्रोल्स (दूर -नियंत्रण प्रणालियाँ )होनी चाहिए ।
यकीं मानिए यह वर्चुअल वर्ल्ड नहीं है ,हाई टेक इंस्ट्रुमेंट्स सच -मुचके हैं जिनसे छात्रों को वास्तविक आंकडे प्राप्त हो सकेंगे .दी आफिस आफ साइंस ,टेक्नालाजी ,इनजीनिअरींग एंड मेथएजुकेशन पार्टनर -शिप्स(ओ .एस ई .पी )नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी की केमी जोना कहतीं हैं ,आज कल के छात्र ना केवल हमेशा आन लाइन ही रहतें हैं ,टेक -सावी भी हैं (प्रोद्द्योगिकी पर उनकी पकड भी है .).वह उपकरण को छू नहीं सकते इस बात से वह ज़रा भी विचलित नहीं हैं ।
जोना आई -लेब्स को स्कूल पाठयक्रम के साथ समेकित कर एक ऐसी वेबसाईट हब के रूप में तैयार करना चाहतीं हैं जहांतक सब की पहुँच हो ,जिसे सब की भागेदारी बन सके .यह बिल्कुल ई -बे -टाइप मार्किट प्लेस की तरह होगी ।
फिलवक्त वेब साईट पर उपलब्ध उपकरण इस प्रकार हैं -यूनिवर्सिटी आफ क्वींस लैण्ड (ऑस्ट्रेलिया )का इन्वार्तिद पेंडुलम ,मासाचुसेट्स इंस्टिट्यूट आफ टेक्नालाजी की माइक्रो -इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस करेक्ट -रैजेशन लेब ,एक दाइनेमिकलसिग्नल अनेलैज़र ,एक एजुकेशनल लेबोरेटरी वर्चुअल इंस्ट्रुमेंटेशन सुइट ,एक पालीमर क्रिस्तेलाइज़ेशन एक्सपेरिमेंट ,एक शेक टेबिल ,हीट एक्सचेंजर ,ऐ फोर्स आन ऐ दाइपोललेब तथा न्युत्रों स्पेक्ट्रोस्कोपी लेब्स ।
इलिनाय के मार्क वोंद्रसक जो एडवांस्ड फिजिक्स पढातें हैंकी कक्षा में इन उपकरणों की आज़माइश शुरू हो चुकी है .,आई लेब के ज़रिए एक गाइगर काउंटर (पार्टिकल डिटेक्टर) का स्तेमाल एक रेदिओधर्मी प्रयोग के दौरान रेदिओधर्मी स्रोत से निसृत विकिरण की पड़ताल के लिए किया गया है ।
आइन्दा छात्र भी विज्ञानियों की तरह सीख समझ सकेंगे ,आजमैशें(प्रयोग )कर सकेंगे ।
ज़ाहिर है -कल क्लास रूम का माहौल भी बदलेगा ,सभी स्कूलों को समान अवसर ,समान सुविधाएं मिल सकेंगी .जोना आई -लेब्स को शिकागो पब्लिक स्कूल सिस्टम ,अन्य स्कूल जिलों तक लाना चाहतीं हैं ,ख़ास कर वहाँ जहाँ सुविधाओं की कमी है ।
भी विज्ञानियों की तरह
सोमवार, 21 सितंबर 2009
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