मंगलवार, 8 सितंबर 2009

ख़ुद फैसला लेने में सक्षम रोबोट -आई- कब

विज्ञान -गल्प ,साइंस -फिक्शन फिल्मों तक सीमित रहा है अभी तक ख़ुद अपने फैसले कर सकने वाला रोबोट ।
एक सफेद चेहरे -मोहरे बड़ी आंखों औ बालक जैसा एक रोबोट इसे हकीकत में बदल देने के नजदीक पहुंचता दिखे है ।
इसका नाम रखागया है -आई-कब जोमाहौल के अनुकूल अपने को ढालने ,सीखने की कूवत रखता है .इससे मानवीय चेतना के विकास पर भी रौशनी पड़ सकती है ।
यूरोप भर की लेबों में इसके ६ संस्करण दिखलाई दे रहें हैइसके दिमाग में बस थोडी सी फेर बदल कर विज्ञानी अब इसे बालकों की तरह सीखने की क्षमता से लैस कर देना चाहतें हैं ।
रिसर्च डायरेक्टर पीटर फोर्ड दोमिनी कहतें हैं -हमारा लक्ष्य इसे इंसानों की तरह सहकार औ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना सहयोग करने के लायक बनना सीखाना है ।
इस की ऊंचाई तकरीबन ३.२ फीट है ,एक सुस्पस्ट धड ,हाथ पैर इसके बहुत ज्यादा छोटे छोटे औ एक साथ संयुक्त होकर काम करने वाले इलेक्त्रोनी पुर्जों से बनाए गए हैं .सफ़ेद दमकता चेहरा सूतीहुई नाक औ बड़ी बड़ी आँखें जो आस पास चीज़ों पर नज़र गढाए रहतीं हैं देखते ही बनती हैं ।
हम नया खेल खेलेंगे या पुराना आई कब पूछता है -दोमिनी से ,लाइयाँ की एक लेब में आज़माइश के दौरान .आवाज़ का लहजा (प्रश्न वाचक )उतार चढाव लिए हुए है ।
ऐसे ही रोबोट एक दिन एनेलेतिक फिलासफी औ फिलासफी आफ माइंड के लिए एक ह्यूज टूल का काम करेंगे -ऐसा मानना है -दोमिनी का ।
रोज़ -मर्रा के कामों में यथा अस्पतालों में मरीजों की मदद ,उनके साथ खेलने फ़िज़िओथिरेपि करने में दखल दे सकेंगे आई -कब परिवार के रोबोट .धीरे -धीरे यह घर की देख भाल स्वतंत्र रूप कर सकेंगे ।
सन्दर्भ सामिग्री :नाओ ऐ रोबोट देत टेक्स ओं न दिसिज्न्स (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर ८ ,२००९ पेज १७ ) ।
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

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