सर अल्फ्रेड हिचकाक (१८९९-१९८० )ब्रितानी फ़िल्म निदेशक की फ़िल्म "साइको "के बाद अब तक यह स्केरिएस्त शावर ख़बर है -शावर हेड्स में पनपने वाले जीवाणु आपमें से कईयों के लिए खतरनाक हो सकतें हैं ,दमा एवं अन्य एलर्जी की वजह बन सकतें है ।
कोलोराडो यूनिवर्सिटी के शोध कर्ताओं ने पता लगा या है -शावर हेड्स से निकलने वालीखतरनाक जरासीमों (जर्म्स )की पहली बौछार आप के चेहरे को न सिर्फ़ आच्छादित कर सकती है ,बारास्ता शवसन आपके फेफडों तक भी पहुँच सकती है .शावर हेड्स जीवाणुओं के पनपने की चुनिन्दा जगहों में से एक है .नतीजा हो सकता है -ड्राई -काफ ।फेफडों का संक्रमण .
माइकोबेक्तीरियम एवियम से बचने का एक ही तरीकाहै -आप थोडी देर के लिए शावर खोल कर बाथ से बाहर आ जाएँ ,पहली बौच्छार सीधे कभी भी चेहरे पे ना आने दें.रिसर्च के अगुवा नार्मन पेस कहतें हैं -इसी में जीवाणु की लोडिंग होती है ।
पहले भी शावर हेड्स से निकलने वाले जीवाणुओं को लेकर चिंता व्यक्त की गई है ,लेकिन यह कितना खतरनाक हो सकता है ,अब तक इसका जायजा नहीं लिया जा सका था ।
ताज़ा अध्धय्यन में अमरीका के ९ नगरों में ४५ शावर हेड्स की सूक्ष्म जांच की गई इनमे से ३० फीसद में फेफडों में संक्रमण पैदा करने वाला पेथोजन (रोगकारक ओर्गेनिज्म यानी जैविक प्रणाली )माइको -बेक्तिरीयम बड़ी तादाद में मौजूद था ।
पूर्व में किए गए अध्धय्यनों में पहले ही यह आशंका व्यक्त की जा चुकी है ,विकसित देशों में फेफडा इन्फेक्शन के बढ़ते मामलों के पीछे शावर्स का बढ़ता चलन कुसूरवार है ।
ताज़ा अध्धय्यन इस आशंका को पुष्ट करता है ।
जैसे आप ४ सप्ताह बाद टूथ ब्रश बदल देतें हैं ,वैसे ही कुछ माह के बाद शावर भी बदल वाइये .जिनका रोग प्रतिरक्षा तंत्र सही सलामत है मजबूत है ,उन्हें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है ,लेकिन कुछ लोगों में माई -को बेक्तिरियम लंग इन्फेक्शन की एक एहम वजह बनता है ,इस केटेगरी में सिस्टिक फाइब्रोसिस ,एड्स ,केंसर इलाज जो ले रहें हैं या जिहोनें अंग -प्रत्त्या -रोप (ओर्गें -एन त्रेंस्प्लेंत )लगवाया है ,वे लोगखासकर और भी ज्यादा आतें हैं ।
सन्दर्भ सामिग्री :-डेली शावर में मेक यु इल (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १६ ,२००९ ,पृष्ठ २१ )
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
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