`जर्मनी के एक छोटे से नगर लान दाऊ इंदर फाल्ज़ में इन दिनों वह भूतापीय परियोजना सवालों के घेरे में है जिसे वहाँ के ऊर्जा निगम जिओक्स ने हरी झंडी दी थी .यह विवाद तब पैदा हुआ जब गत अगस्त माह के बीचों बीच एक भूकंप इस नगर में दर्ज किया गया ,हालाकि इस की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर लेदेकर कुल २.७ ही थी (इस पैमाने पर परिमाण सूचक १-१० तक अंक होतें हैं ).परियोजना के तहत डीप ड्रिलिंग की गई ,एक सूराख गहराई में जाकर बनाया गया ताकि भू -तापीय ऊर्जा का दोहन किया जा सके ।
भूकंप के बाद से लोगों में एक खौफ बरपा है ।
परियोजना के समर्थक इसे जीव -अवशेषी इंधनों से निजात दिलवाने के लिए ज़रूरी बतलातें हैं ,तो विरोधियों ने एक पेनल बिठा दिया है ,जांच के लिए ,नतीजे आने पर ही परियोजना को दोबारा शुरू किया जा सकेगा ।
अमरीका में ऐसी ही एक परियोजना जांच के दायरे में आ गई है जिसे उत्तरी केल्फोर्नियाई निगम आलता रॉक एनर्जी चला रहा है ,गत माह एक भारी तकनीकी खामी की वजह से इस परियोजना का काम रोक दिया गया था ।
स्स्वित्ज़र्लंद के बसेल में भी ऐसी ही एक परियोजना को २००६ ,२००७ के जलजले (भूकंप )के बाद रोक कर जांच बिठा दी गई है .यह परियोजना अब माहिरों के एक पेनल की बात जोह रही है ,जिसे अपना फैसला सुनाना है ।
जो हो इस सबसे भू -गर्भीय ऊर्जा की साख खतरे में आ गई है .दूध का दूध पानी का पानी हो जाए यही विज्ञान और जन हित में होगा ।
दीगर है -लान दाऊ इन्दार्फाल्ज़ का भू -कंप ना सिर्फ़ आकस्मिक था एक सोनिक बूम की आवाज़ भी साथ लिए था जब कोई वायुयान ध्वनी के वेग से ज्यादा (सुपरसोनिक या फ़िर हाई -पर सोनिक रफ़्तार पकड़ता है ,तब पृथ्वी तक एक सोनिक बूम एक शाक वेव पैदा होने से पहुँच ने लगती है .ऐसे विमान का चालक ख़ुद अपने विमान के इंजन की आवाज़ नहीं सुन सकता क्योंकि वह तो ख़ुद ध्वनी के वेग का अतिक्रमण कर रहा है )।। अलावा इसके छोटे बडे एक लाख भूकंप पृथ्वी पर हर साल आतें हैं .
सन्दर्भ सामिग्री :-जिओथार्मल प्रोजेक्ट ट्रिगर्स क्युएक्स ,स्तिर्स सेफ्टी रो (टाइम्स आफ इंडिया ,सितम्बर १२ ,२००९ ,पृष्ठ १९ )
प्रस्तुती :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )
भी
रविवार, 13 सितंबर 2009
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